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भोजपुरी लोक संगीत के धुरन्धर गायक थे वीरेन्द्र सिंह " धुरान" : अजीत



बलिया।  भोजपुरी संगीत में नारदीय लोक विधा के धुरंधर वीरेन्द्र सिंह धुरान इस की स्मृति में बुधवार को बसंतपुर में धुरान स्मृति महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें भोजपुरी संगीत के ख्यातिलब्ध गायकों ने अपने फन का जलवा बिखेरा। इसके पूर्व वीरेन्द्र सिंह धुरान के व्यक्तित्व एवं कृतित्व तथा भोजपुरी लोकगीत में उनका योगदान' विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें सम्पूर्ण भोजपुरी के प्रसिध्द लोकगायकों की गायकी से समवेत रूप में किया गया।
  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि योगेन्द्र नाथ आईटीआई के प्रबन्धक एवं समाजसेवी अजीत मिश्र रहे।  विशिष्ट अतिथि के रूप में अमरनाथ मिश्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय दूबेछपरा के पूर्व प्राचार्य डा० गणेश कुमार पाठक रहे।


कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथिद्वय द्वारा माँ सरस्वती एवं वीरेन्द्र सिंह धुरान जी के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं द्वीप प्रज्जवलित कर किया गया। गोष्ठी को संबोधित करते हुए  मुख्य अतिथि अजीत मिश्रा ने कहा कि  वीरेंद्र सिंह धुरान  भोजपुरी संगीत में नारदीय विधा के धुरन्धर गायक थे। "धुरान"  ने सिर्फ गायकी में ही अपना लोहा नहीं मनवाया, बल्कि वे लोकगीतों का लेखन भी करते थे। लोकगीतों के ऐसे गायक एवं लेखक विरले ही जन्म लेते हैं। भोजपुरी क्षेत्र का यह सौभाग्य है कि वो बलिया की माटी के कलाकार थे।  विशिष्ट अतिथि डा० गणेश कुमार पाठक ने कहा कि वीरेन्द्र सिंह धुरान लोकगायकी की सभी विधाओं में गायन करते थे । यद्यपि की धुरान जी नारदी के गायक थे, किन्तु वो गायन के दौरान बीच - बीच में धोबिया गीत, गोड़ंऊ गीत, पचरा , सोहर एवं विरहा आदि विधाओं को बखूबी गाते थे। आज आवश्यकता है उनके द्वारा लिखे गए गीतों का संग्रह कर उसको प्रकाशित करने की।


डा० राजेन्द्र भारती ने अपने विभिन्न स्मरणों द्वारा धुरान जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला, जबकि रसराज जी ने स्वरचित गीत को गाकर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की । अजीत मिश्र ने धुरान जी कै एक महान लोकगीत गायक बताते हुए उनके द्वारा गाए हुए गीतों के संरक्षण पर बर प्रदान किया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डा० जनार्दन राय ने कहा कि अपनी गायगी से वीरेन्द्र सिंह धुरान आज भी हमारे समक्ष विद्यमान हैं और वो सदैव हमारे समक्ष रहेंगे तथा लोकगीत गायकों दिशा प्रदान करते रहेंगे।

धुरान स्मृति महोत्सव का दूसरा सत्र लोकगीत गायकी का रहा। जिसमें डा० गोपाल राय, भोजपुरी सम्राट श्री भरत शर्मा सहित पूरे भोजपुरी क्षेत्र से आए नामी - गिरामी गायकों ने अपने गाए हुए गीतों से श्रोताओं का मन मोह लिया।

 इस आवसर पर" धुरान सर्वोच्च सम्मान" से श्री लक्ष्मण दूबे लहरी जी को एवं "धुरान स्मृति सम्मान " से श्री भरत शर्मा व्यास को अंगलस्त्रम् एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। उक्त अवसर पर डा० जनार्दन राय , डा० गणेश कुमार पाठक, अजीत मिश्र, गोपाल राय, डा० राजेन्द्र भारती ,अनारी जी , विवेकानन्द सिंह, राधिका तिवारी, गीत प्रस्तुत करने वाली बालिकाओं, अनेक गायकों तथा वादन करने वाले कलाकारों को भी अंगबस्त्रम एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

 कार्यक्रम के अंत में वीरेन्द्र सिंह धुरान जी के पुत्र निर्भयनारायण सिंह एवं पौत्र अनुज कुमार सिह द्वारा सभी अतिथियों , गायकों एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिध्द साहित्यकार डा० जनार्दन राय तथा संचालन विवेकानन्द सिंह ने किया।


By-Ajit Ojha

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