अद्भुत एवं अकल्पनीय: ‘माँ’ की कृपा से नेत्रहीनों के आँखों की लौटी रौशनी
बलिया । नेत्रहीन की दुश्वारियों के बारे में कल्पना मात्र से रोम-रोम सिहर उठता है। लेकिन जब उसकी आँखों से रौशनी वापस आ जाती है तो मानो उसे विश्व का सबसे बड़ा खजाना मिल जाता है। कुछ ऐसी ही अद्भुत, अविश्वसनीय एवं अकल्पनीय घटनाएँ पकड़ी स्थित काली धाम में घटित हुई है। जिस पर एक बार भी शायद ही कोई विश्वास करें, लेकिन यह हकीकत है। जहाँ दो व्यक्तियों (एक पुरूष और एक महिला) के आँखों की जाती हुई रौशनी को माँ की कृपा से मंदिर के पुजारी रामबदन भगत ने वापस लौटाने का कार्य किया। यह माँ काली की कृपा का परिणाम है कि दोनों आज हंसी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहे है। लेकिन उनकी आस्था का आलम यह है कि शनिवार को सजने वाले ‘माँ’ के दरबार में हाजिरी लगाना नहीं भूलते।
अतीत के पन्नों को पलटे तो बलिया जनपद के चिलकहर विकास खंड अंतर्गत संवरा गाँव निवासी शैलेश सिंह पुत्र विक्रमा सिंह के अचानक आँखों से पानी गिरने लगा और धीरे-धीरे आँखों की रौशनी जाती रही। शैलेश की पत्नी श्रीमती पूजा सिंह पति की हालत से काफी व्यथित हो गयी। उन्होंने परिजनों की मदद से शैलेश का चेन्नई के ख्यातिलब्ध आँख के अस्पताल में उपचार कराया, लेकिन राहत की बजाय निराशा हाथ लगी। तमाम नेत्र चिकित्सकों ने कहा कि अब शैलेश के आंखों की रौशनी नहीं लौट सकती है। लेकिन पतिव्रता ने हार नहीं मानी और निरंतर प्रयासरत रही। यह अलग बात रही कि उसे सफलता की बजाय असफलता ही मिलती रही।
तभी किसी परिचित ने पकड़ी धाम स्थित माँ काली धाम की महिमा के बारे में बताया और उसे वहाँ जाने की नसीहत दी। बस क्या था पूजा अपने पति को लेकर पकड़ी धाम स्थित माँ काली के दरबार में जा पहुँची और मंदिर के पुजारी रामबदन भगत से मिलकर माँ से अपनी अरज सुनायी। हालांकि पूजा के परिजन उसे अंधविश्वास के बजाय डाक्टरों से मिलने की बात करते थे और पकड़ी जाने से रोकते थे लेकिन अपनी धुन की पक्की पूजा ने सिर्फ और सिर्फ माँ काली पर भरोसा किया। वह मंदिर में आकर घंटों रोती रहती थी। आखिरकार माँ ने पूजा की पुकार को सुना। परिणामस्वरूप शैलेश के आँखों की रौशनी बिना उपचार एवं दवा के ही धीरे-धीरे वापस लौट गयी। अब स्थिति यह है कि शैलेश पैदल चलने के साथ बाइक बगैरह सब कुछ पूर्व की भाँति चला लेता है। बीते 12 अप्रैल को मां के दरबार में पहुँचे पूजा और शैलेश ने इस बात की तस्दीक की मां काली की कृपा और पुजारी रामबदन भगत की पूजा की बदौलत ही यह संभव हो सका है।
दूसरी घटना इससे कुछ इत्तर लेकिन यह तो अकल्पनीय है और भले ही मेडिकल जगत इसे ना माने लेकिन यह हकीकत है। हुआ यूं कि रेवती विकास खंड के दलछपरा गाँव निवासी उत्तम साहनी एवं उनकी पत्नी बालबुची देवी की पुत्री सरोज की एक आँखों में अचानक धूल के कुछ कण पड़े और थोड़ी देर बाद उसकी दोनों आँखों से दिखायी देना बंद हो गया। यह घटना वर्ष 2011 की है। तब सरोज कक्षा छः की छात्रा थी। साहनी दंपति ने सरोज का काफी उपचार कराया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अलबत्ता डाक्टर यह कहते थे कि इसकी आँखे ठीक है। बावजूद इसके उसे कुछ भी दिखायी नहीं देता था। इससे सरोज के माता-पिता काफी परेशान थे। उसी दरम्यान उसके पड़ोस की एक महिला ने कहा कि आप लोग इसे पकड़ी धाम स्थित माँ काली की शरण में लेकर जाये। मरता क्या नहीं करता की दर्ज पर साहनी दंपति शुक्रवार को ही पकड़ी धाम पहुँच गये और शनिवार को जब मां का दरबार सजा और पुजारी रामबदन भगत माँ की पूजा पर बैठे तब पीड़ित साहनी दंपति ने अपनी व्यथा सुनायी।
पुजारी भगत ने पास में पड़े रामी से अंधी सरोज के सिर पर एक बार मारा। रामी लगते ही जैसे मानों चमत्कार हो गया और अंधी हो चुकी सरोज को सब कुछ दिखायी देने लगा। यह घटना महज कुछ पलों में घटित हुई। यह सुन वहाँ उपस्थित ‘माँ’ के भक्त माँ का जयकारा लगाने लगे। इसके बाद वर्ष उत्तम ने अपनी पुत्री सरोज का नगवां के मुन्ना साहनी से वर्ष 2014 में विवाह तय किया। तब सरोज के ससुराल वालो से किसी ने कह दिया कि सरोज आँख की अंधी है। वहाँ माँ काली की प्रेरणा से मंदिर के पुजारी और मां काली के अन्नय भक्त रामबदन भगत ने जाकर सरोज का विवाह कराया। तब से लेकर अब तक सरोज माँ के दरबार में निरंतर हाजिरी लगाती है। बीते आठ अप्रैल को उसने अपनी आपबीती बतायी।
By-Ajit Ojha
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