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जान्हवी को प्रदूषण से मुक्त कराने में विफल रही नमामि गंगे


बलिया। गंगा नदी के पीड़ा के निवारण के लिए की जा रही केन्द्रीय कसरत अर्थहीन एवं अविश्वसनीय प्रतीत हो रहा है। अभी तक सियासती प्रस्थान बिन्दु को गंगा प्रदूषण पर लगाम लगाने को जो भी सरकार की घोषणायें हुई है वह नमामि गंगे योजना के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पायी है। उक्त टिप्पणी गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर तिवारी ने सरकार द्वारा सन् 2022 तक गंगा साफ कर देने के लक्ष्य के क्रम में की है। कहा, पतित पावनी की जमीनी हकीकत एक तरफ जहां गंगा बेसिन में पानी का घोर अभाव है तो दूसरी तरफ गंगाजल की गुणवत्ता में पिछले 32 वर्षो में कहीं कोई सुधार नहीं होना है।

 श्री तिवारी ने जानकारी दी कि 14 जून 1986 से केन्द्र में रही सरकारों ने अब तक अरबों की राशि गंगा की सफाई पर खर्च की है लेकिन प्रगति शून्य है। कहा, गंगा से निकाली गयी नहरों एवं गंगा पर बने जलाशयों से गंगा में प्रणम्य और पुनीत तिथियों पर जल छोड़ा जाना उसकी अस्तित्वहीनता को प्रमाणित करता है। बलिया में गंगा प्रदूषण के सवाल पर कहा कि यहां नमामि गंगे योजना की सफलता के लिए पृष्ठभूमि भी तैयार नहीं हो सकी है। सरकार द्वारा घोषित गंगा साफ रखने की घोषणायें कटघरे में है। इससे शासन-प्रशासन की लापरवाही उजागर हो रही है।


By-Ajit Ojha

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