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सत्र के आगाज की आहट मिलते ही शुरु हुई शिक्षा की दुकानदारी


सिकंदरपुर, बलिया। विद्यालयों में गर्मी की छुट्टी 30 जून को समाप्त होगी। इसके साथ ही एक जुलाई से शिक्षा का नया सत्र आरंभ हो जाएगा और शिक्षा मंदिरों के कपाट खुलेंगे। इसे देखते हुए शिक्षा की दुकानदारी अभी से होने लगी है। विद्यालयों के प्रबंधकों, शिक्षक अभिभावकों से संपर्क कर अपने विद्यालय में बच्चों का दाखिला कराने का प्रयास जोर-शोर से करना शुरू कर दिए हैं। जगह-जगह विद्यालयों के पोस्टर लगाए जा रहे हैं। हांलाकि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय आदेशानुसार 25 जून से ही खोल दिए गए हैं। पर विद्यालयों में बच्चों की चहल-पहल नहीं दिख रही है। कुछ अभिभावकों का कहना है कि प्राइवेट विद्यालयों की चमक दमक देख अभिभावक अपने बच्चों का इन विद्यालयों में दाखिला करा रहे हैं। मगर वास्तव में देखा जाए तो ऐसे विद्यालय ऊंची दुकान फीके पकवान ही साबित हो रहे हैं। 

इन विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक अप्रशिक्षित होते हैं। उन्हें वेतन के नाम पर बहुत कम ही रुपए मिलते हैं। इधर बेसिक विद्यालयों में स्कूल चलो अभियान का कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य छात्र-छात्राओं और अभिभावकों को प्राथमिक शिक्षा से जोड़ना है। मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ी बात कि बेसिक विद्यालयों के अध्यापक और अध्यापिकाओं के खुद के बच्चे और बच्चियां प्राइवेट विद्यालयों में ही शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं जो एक सोचनीय विषय है। सरकार ऐसे अध्यापक अध्यापकों के ऊपर करोड़ों रुपए वेतन के रूप में खर्च करती है। विद्यालयों में नियुक्ति को लेकर तरह तरह की समस्याएं उत्पन्न होती है। लेकिन नियुक्ति के बाद ऐसे शिक्षक व शिक्षिकाएं जो प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल में पढ़ाते हैं उनके खुद के बच्चे बड़े-बड़े तड़क-भड़क वाले प्राइवेट विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करते हैं। यह सरकार के लिए भी एक सोचनीय विषय है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। जिससे कि प्राथमिक स्तर के विद्यालयों का विकास हो सके। अच्छी पढ़ाई हो सके और उसमें शिक्षा ग्रहण करने वाले बालक बालिकाओं का विकास हो सके।


By-SK Sharma

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