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चित्र तो स्थिर फिर भी मानों कुछ बोल रहे हों


बलिया। राजकीय इण्टर कालेज के सभागार में राज्य ललित कला अकादमी उ0प्र0 लखनऊ की ओर से चल रही तीन दिवसीय चित्रकला प्रदर्शनी का समापन रविवार को हो गया। अंतिम दिन प्रदर्शनी पूरी तरह जनपद के साहित्यकारों, शिक्षाविद एवं रंगमंच के कलाकारों के नाम रही। 

बच्चों के हाथों बनायी गयी कलाकृतियांे का अवलोकन करने के बाद छात्र-छात्राओं का उत्साहवर्धन करते हुए डॉ0 जनार्दन राय ने कहा कि चित्र तो स्थिर है फिर भी बोल रहे है। और वह ये बोल रहे है कि दीपक की भाँति प्रकाश फैलाओं और आगे बढ़ो। वरिष्ठ पत्रकार अशोक गुप्ता, प्रसि( पर्यावरण विद डॉ0 गणेश पाठक, प्रो0 यशवन्त सिंह, डॉ0 राजेन्द्र भारती, वरिष्ठ रंगकर्मी आशीष त्रिवेदी, मोहन श्रीवास्तव, संजय मौर्या, पोस्ट मास्टर अजीत कुमार दुबे समाजिक कार्यकर्ता नन्दनी तिवारी, डॉ0 संजय त्रिपाठी, डॉ0 दिव्या मिश्रा अरविन्द, मोहन आदि ने अवलोकन कर बच्चों की कलात्मक एवं रचनात्मक सोच को सराहा। 

उपजिलाधिकारी रसड़ा विपिन जैन (आई0ए0एस0) एवं उपजिलाधिकारी बांसडीह अनपूर्णा गर्ग (आई0ए0एस0) ने बलिया के नवांकुर चित्राकारों की कला देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि कला का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसको प्रचार-प्रसार की जरूरत है। इस जनपद के बच्चों के अन्दर प्रतिभा हर क्षेत्रों में है। उन्होंने एक-एक बच्चों की कलाकृति को बुला-बुलाकर देखा और बच्चों से पूछा कि वह कैसे बनाया है क्या उसकी थीम। कार्यक्रम के संयोजक डॉ0 इफ्तेखार खां ने बताया कि इसमें दूर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों मनियर, रसड़ा, नगरा, सहतवार आदि के छात्र-छात्राओं ने कला की तकनीक को सीखा। 

कार्यशाला में बने लगभग 700 कलाकृतियों में लगभग 300 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया है। जिसमें आयल कलर, वाटर कलर, आयल पेस्टल, पोस्टर कलर से एक से बढ़कर एक कलाकृतियों को बनाये डॉ0 खान ने कला प्रशिक्षक नुरूल हक, हरिश्ंाकर प्रसाद, नौशाद अहमद अंसारी, वैष्णवी मिश्रा, बुशरा शाहीन की सराहना करते हुए कहा कि इन बच्चों को प्रशिक्षण देेने में इनका बहुत बड़ा योगदान है। समापन कार्यक्रम का संचालन डॉ0 राजेन्द्र भारती एवं आभार डॉ0 इफ्तेखार खां ने किया।

By-Ajit Ojha

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