रसूखदार उड़ा रहे बाल श्रम कानून की धज्जियां
रसड़ा(बलिया) । रसड़ा तहसील क्षेत्रों में बालश्रम कानून की खूब धज्जियां उड़ाई जा रही है। हालांकि शासन द्वारा कानून बनाकर बाल मजदूरी को रोकने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे है। बावजूद इसके नतीजा ढाक के तीन पात है। आलम यह है कि रसूखदार कायदे-कानून को ताक पर रखकर खुलेआम बाल मजदूरी को न सिर्फ बढ़ावा दे रहे हैं बल्कि शासन -प्रशासन का माखौल उड़ा रहे हैं। जिसका जीता- जागता उदाहरण रसड़ा तहसील क्षेत्रों के ईंट भट्टा, चाय- पान की दुकान एवं होटलों व मिठाई की दुकानों पर देखने को मिल रहा है। बाल शिक्षा कानून के बाद भी यहां नाबालिगाें के हाथों में कापी किताब की जगह होटलों में बर्तन साफ करते हुए तथा दुकानों पर दिखाई दे रहे हैं ।
जबकि शासन द्वारा तमाम तरह के कायदा - कानून बनाकर बाल मजदूरी कराने वालों के खिलाफ कड़े कार्रवाई करने की प्रावधान की गयी हैं तो वहीं तमाम सामाजिक संगठनों ने भी बाल मजदूरी रोकथाम के नाम पर अपनी-अपनी कथित दुकानें खोल रखी हैं। मगर गरीबी के कारण , चाय पान की दुकानों व होटलों सहित मनरेगा जैसी सरकारी कार्यदायी संस्थाओं में आजीविका की तलाश में इन नाबालिगाें को काम करते बखूबी देखा जा रहा है। इन नाबालिगाें पर पुलिस व अन्य अधिकारियों की नजर भी जाती है मगर वह भी देखकर अनजान बन जाते हैं।
शासन द्वारा चौदह वर्ष तक के बच्चों को स्कूल भेजने का प्रावधान पारित के बाद भी इस बाबत कोई ठोस कदम जनपद में नहीं उठाया जा रहा है। वास्तविकता तो यह है कि कभी-कभार बालश्रम विभाग के अधिकारी, कर्मचारी छोटी-मोटी दुकानों पर छापेमारी कर कार्यवाही की धौंस जमाकर अपनी जेब गरम कर कर्तव्यों को पालन भूल जाते हैं । जरुरत है ऐसे भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को उनके कर्तव्य को बोध करा करा कर देश के भविष्य को संवारने की जरूरत है ।
रिपोर्ट पिन्टू सिंह
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