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नपा बोर्ड ने सीज किया चेयरमैन का वित्तीय पावर, हडंकप


बलिया। शुक्रवार को बलिया नगर पालिका चेयरमैन दुश्वारियों भरा रहा या फिर दूसरे शब्दों में यह कहें कि शुक्रवार को आखिर वहीं हुआ, जिसकी लम्बे समय से चेयरमैन अजय कुमार को डर था तो कोई अतिशोक्ति नहीं होगी। आठ माह बाद सगीनो के साये में हुई नगर पालिका बोर्ड की बैठक में सभासदों ने बहुमत से चेयरमैन के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाने समेत पांच प्रस्तावों को मंजूरी दे दी। जिससे आने वाले दिनों में चेयरमैन की मुश्किले बढ़नी लाजमी है।


बहरहाल, भारी पुलिस की मौजूदगी में शुरू हुई नगर पालिका बोर्ड की बैठक में से 23 सभासद मौजूद रहे। बैठक के आरंभ में सभासद सुमित मिश्रा गोलू एवं विकास पाण्डेय लाला ने पांच सूत्रीय प्रस्ताव संयुक्त रूप से प्रस्तुत किया, जिसे बोर्ड ने ध्वनिगत से पारित कर दिया। बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव के अनुसार नगर पालिका अध्यक्ष अजय कुमार के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाने का प्रस्ताव पारित किया। इसके अतिरिक्त यह भी प्रस्ताव पारित हुआ कि प्रति माह बोर्ड की बैठक करायी जाये।

 साथ ही सभासदों द्वारा प्रस्तावित कार्य कराये जाये और सभासदों की संस्तुति के उपरांत ही कार्यो का भुगतान किया जाये। इसके अलावा बोर्ड ने चेयरमैन से यह पूछा कि अब तक कराये गये सफाई कार्य का भुगतान किस मद से किया गया। साथ ही बोर्ड ने चौदहवें राज्य वित्त आयोग के तहत हुए आधे अधूरे टेंडरों को भी निरस्त करने का प्रस्ताव पारित किया है। बोर्ड की बैठक में मुख्य रूप से सभासद चन्द्रावती देवी, ददन यादव, संतोष सिंह, लड्डू, सुमित मिश्रा, पम्मी सिंह, अमित कुमार दुबे, बबिता देवी, शमशाद, संगीता देवी, अखिलेश सिंह, विकास पाण्डेय, उमेश कुमार, शारदा देवी, संजय यादव, पवन कुमार गुप्ता, विक्की, मधुलिका गुप्ता, रंजना देवी, मोहिनी शाह आदि मौजूद रहे।

स्वयं को कानून से बड़ा समझता था चेयरमैन

नगर पालिका बोर्ड द्वारा चेयरमैन के वित्तीय अधिकार सीज किये जाने पर सभासद संघ में अध्यक्ष संतोष सिंह लड्डू ने कहा कि किसी भी आतातायी पतन होता है। कथित तौर पर समाजसेवी का लाबादा ओढ़ नगर पालिका को लूटने वाले चेयरमैन के भ्रष्टाचार रूपी ताबूत में यह पहली किल है। आने वाले दिनों में उसके द्वारा लूटी गई पाई-पाई का हिसाब लिया जायेगा। सभासद ददन यादव ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। नगर पालिका के कार्यो का संचालन बोर्ड द्वारा किया जाता है, लेकिन वर्तमान अध्यक्ष स्वयं को सबसे बड़ा और कानून से ऊपर समझ रहा था। इसीलिए बोर्ड को कड़ा कदम उठाना पड़ा।



By-Ajit Ojha

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