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बेतहाशा विद्युत कटौती से बिलबिला रहे लोग




रतसर (बलिया)। बरसात शुरू होने के साथ ही विद्युत आपूर्ति में कटौती शुरू हो जाती है। कभी शेड्यूल के चलते बिजली नहीं दी जाती है तो कभी तार- खम्भों व ट्रांसफार्मर में खराबी के कारण आपूर्ति ठप कर दी जाती है। विभाग की लापरवाही कहें या खामी, विगत दो दशकों से अधिक समय बीत गए अभी तक क्षेत्र में जर्जर तार- खम्भों को बदलने के बारे में सोचा ही नहीं गया। बरसात के मौसम में हर साल बेतहाशा विद्युत कटौती की जाती है, वही लोड के चलते ट्रांसफार्मर फुकने, तार टूटकर गिरने का सिलसिला भी तेज हो गया है। गर्मी से बिलबिला रहे लोग सड़क पर उतरने को मजबूर होते है। जर्जर संसाधनों को बदलने के लिए विभिन्न योजनाओं के जरिए केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ों रुपए अवमुक्त किया गया है लेकिन विभागीय खामी के चलते अभी तक कार्य पूरा नही हो सका। वहीं रतसर विद्युत उपकेन्द्र से लगभग 120 गांवों को विद्युत आपूर्ति की जाती है कतिपय कारणों से अगर इन गांवों में कोई हादसा हो जाता है तो विद्युत आपूर्ति ठप्प कराने के लिए विभाग के पास कोई अपना सीयूजी नम्बर उपलब्ध नहीं है ताकि आकस्मिक परिस्थितियों में सूचना दी जा सके। हालांकि जो क्षेत्रीय लाईन मैन है उनका नम्बर तो कु्छ ग्रामीणों के पास है लेकिन वो उठाते नही है । वहीं उपकेन्द्र पर एसएसओ की ड्यूटी बदलती रहती है। सीयूजी नम्बर उपलब्ध न होने के कारण बृहस्पतिवार को क्षेत्र के शाहपुर गांव में कांवरियों के साथ बाबा धाम जा रहे यात्रियों के पिकअप एचटी करेंट की जद में आने से एक महिला की मौत हो गई थी,वहीं दर्जनों यात्री झुलस गए थे।जिनका इलाज जिला चिकित्सालय में चल रहा है। ग्रामीणों के मुताबिक घटना होने के बाद विद्युत आपूर्ति ठप कराने में सीयूजी नम्बर न होने के कारण घंटों लग गया तब जाकर विद्युत आपूर्ति ठप हुई।
इस बावत विद्युत उपकेन्द्र के जेई श्याम अवध यादव से पूछा गया कि क्षेत्र में कोई दुर्घटना होती है तो किस नम्बर पर सूचना दी जाए तो उन्होंने बताया कि विभाग से इसके लिए मैने बात की है एक सप्ताह के अन्दर सीयूजी नम्बर आवंटित हो जाएगा जिसकी सूचना हम अपने स्तर से हर गांव में चस्पा करा देगें। इसके लिए हम पूरी तरह से प्रयत्नशील है।


रिपोर्ट धनेश पांडे

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