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सामंतवाद और पूंजीवादी तंत्र से मुक्ति के संघर्ष का दस्तावेज है 'मुंशी' का साहित्य



बलिया। प्रेमचंद बीसवीं सदी के प्रतिनिधि भारतीय कथाकार है । यह भारतीय जनता के मुक्ति संग्राम के सबसे बड़े चितेरे हैं । उनका साहित्य सामंतवादी व पूंजीवादी तंत्र के शोषण उत्पीड़न  से त्रस्त किसानों मजदूरों दलितों और स्त्रियों की मुक्ति की कामना तथा संघर्ष का जीवंत दस्तावेज भी है। उपयुक्त बातें बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर यशवंत सिंह ने प्रेमचंद के जीवन दृष्टि विषयक गोष्ठी में बोलते हुए कहा । संकल्प साहित्यिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था बलिया द्वारा प्रेमचंद जयंती की पूर्व संध्या पर संकल्प के मिश्र नेवरी स्थित कार्यलय पर  विचार गोष्ठी एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया ।

 गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे जनपद के वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार डॉक्टर जनार्दन राय ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाओं से गुजरे बिना आजादी के पूर्व के हिंदी समाज और उसके मिजाज को ठीक ठीक नहीं समझा जा सकता।  उस समय की धड़कनें  उनके साहित्य में सुनाई पड़ती हैं।  डॉ. श्रीपति  यादव ने कहा कि प्रेमचंद की कहानियां सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई है।  मानवीय संवेदना से ओतप्रोत उनकी कहानियों में सामाजिक सांस्कृतिक विडंबना के उपर गहरी चोट भी है । वरिष्ठ पर्यावरणविद् डॉ गणेश पाठक ने कहा कि प्रेमचंद आज भी ना सिर्फ सर्वाधिक लोकप्रिय बल्कि सर्वाधिक पढ़े जाने वाले कथाकार है । युवा कहानीकार असित मिश्र ने कहा कि प्रेमचंद का साहित्य संवेदना ओं से भरा है।  समाज में संवेदनशीलता बचाए रखने के लिए प्रेमचंद की रचनाओं से जुड़ना जरूरी है।  आज के साहित्यकारों को प्रेमचंद से सीख लेने की भी जरूरत है कि किस तरह साहित्य राजनीति के आगे मशाल लेकर चलता है उसका पिछला गू नहीं बनता । 

वरिष्ठ पत्रकार अशोक जी ने कहा कि प्रेमचंद की रचनाएं मानवता की पक्षधर हैं।पं. ब्रजकिशोर त्रिवेदी , डा. इफ्तखार खान, संजय मौर्य , विवेक मिश्रा, ने भी अपने विचार व्यक्त किये । वरिष्ठ कवि और शायर शशी प्रेम देव  ने गज़ल सुनाया कि " महफिलों में ही मुझे  देखा हो जिसने हर घड़ी,  क्या पता उस आदमी को  किस कदर तनहा हूं मैं ",श्री शिवजी पांडे रसराज ने बारहमासा सुनाया "अब निक लागे ना घघरवो  दुआर,  बताई हम का केहू से  मन भावे ना हटवो  बाजार,  बताई हम का केहू से "  डॉक्टर कादंबिनी सिंह ने " न जाने कर गया कितने सितम बस यह दिखाने में  सितमगर है नहीं मुझ सा कोई बेहतर जमाने " गज़ल सुनाया। डॉ राजेंद्र भारती और श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव ने प्रेमचंद को समर्पित  काव्य पाठ किया।  संकल्प के रंग कर्मियों ने जनगीत  से महान कथाकार  नमन किया।  इस अवसर पर  सोनी , ट्विंकल,  आनंद कुमार चौहान ,अर्जुन, मुकेश, अखिलेश, रोहित इत्यादि उपस्थित रहे कार्यक्रम का संचालन संकल्प के सचिव आशीष त्रिवेदी ने किया।


By-Ajit Ojha

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