Kali Maa Pakri Dham

Breaking News

Akhand Bharat welcomes you

शैक्षिक उन्नयन के साथ साथ धार्मिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के प्रणेता रहे पंडित अमरनाथ मिश्र

बलिया।  दीपक की लौ की तरह स्वयं  को जलाकर समाज को विकास की लौ से प्रकाशित करने वाले विशिष्ट व्यक्तित्व के धनी स्व० पं० अमरनाथ मिश्र को इतिहास सदैव श्रद्धा के साथ नमन करता है। उन्होंने जहाँ एक ओर स्वतंत्रता सेनानी के रूप में देश भक्ति की मिशाल कायम किया तो वहीं दूसरी ओर समाज को अवलोकित एवं विकसित करने का कार्य किया।
 अतीत के पन्नों को पलटे तो पं० अमरनाथ मिश्र का जन्म गंगा एवं सरयू नदियों से आच्छादित द्वाबा के बलिहार गाँव में सन् 1927 में 14 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा अर्थात गुरू पूर्णिमा को पिता पं० जगदीश नारायण मिश्र के घर हुआ था। उनकी माता का नाम रामप्यारी था। महान मनीषियों की तरह ही पं० अमरनाथ मिश्र की इहलीला भी गुरू पूर्णिमा के दिन ही 20 जुलाई, 2005 को समाप्त हुई। इस तरह इस महान मनीषी का आविर्भाव एवं तिरोभाव दोनों ही आषाण मास की पूर्णिमा  अर्थात गुरू पूर्णिमा को हुआ। पं० अमरनाथ मिश्र ने स्वतंत्रता आन्दोलन में विशेष योगदान देते हुए अपनी तरूणाई देश को स्वतंत्र करने में समर्पित कर दिया। स्वतंत्रता आन्दोलन में बैरिया थाने पर हुई घटना में मिश्र जी ने अपनी अहम् भूमिका निइभाई और अपने क्रांतिवीर साथियों के साथ गाँव- गाँव भ्रमण कर क्रांति का अलख जगाया। 
पं० अमरनाथ मिश्र की प्रारंभिक शिक्षा प्रथमिक विद्यालय बलिहार एवं मिडिल स्कूल रामगढ़ से हुआ। उच्चशिक्षा की सुविधा नहीं होने के कारण वे उच्च शिक्षा से वंचित रह गए , किंतु  वें प्रतिभा के अत्यन्त धनी थे।  इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने की बात उनके मन- मस्तिष्क में कचोटती रही और उन्होंने तब तक चैन की सांस नहीं लिए जब तक इस क्षेत्र में उच्च शिक्षा की अलख नहीं जगा लिया। अनथक प्रयासों का ही परिणाम रहा कि वर्ष 1973 में उनके द्वारा महाविद्यालय दूबेछपरा की स्थापना हुई। 
 समाज सेवा के साथ- साथ राजनीति को सही दिशा  देने के उद्देश्य से वे राजनीति में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे और बैरिया विकासखंड के ब्लाक प्रमुख पद बलिया जनपद कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष पदों को सुशोभित करते हुए समाज सेवा के साथ - साथ राजनीति को भी सही दिशा देने का कार्य आजीवन करते रहे। 
 पं० मिश्र खासतौर से द्वाबा क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था के उन्नयन हेतु विशेष योगदान देते रहे । चिकित्सा के क्षेत्र में भी अपने गाँव बलिहार चिकित्सालय की स्थापना कर क्षेत्र के लोगों के लिए चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराया।
 पं० मिश्र धर्म एवं अध्यात्म के भी मर्मज्ञ थे। वे धार्मिक - आध्यात्मिक कार्यों के संचालन एवं साधना में सदैव लीन रहते थे। यही कारण है कि उनके द्वारा अयोध्या, हरिद्वार एवं बद्रीनाथ धाम में धर्मशाला एवं अतिथि गृह का निर्माण कराया।
 पं० मिश्र एक सच्चे स्वतंत्रता सेनानी, शैक्षिक उन्नयन के प्रणेता, सच्चे कर्मयोगी, समाज सेवी, राजनीतिज्ञ एवं धार्मिक तथा आध्यात्मिक उत्थान के प्रणेता थे। इस प्रकार वे एक बहीआयामी व्यक्तित्व के धनी मनीषी थे। उनके शब्दकोश में असम्भव नाम का शब्द ही नहीं था। वे सामाजिक, आर्थिक,  राजनैतिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक एवं आध्यात्मिक आदि प्रत्येक क्षेत्र में ऐसा कार्य किए कि उनकी मिशाल दी जाती है. वे समग्र विकास के पुरोधा थे। यही कारण है कि पं० अमरनाथ मिश्र जी अपने कृत कार्यों द्वारा सदैव हमारे बीच विद्यमान हैं एवं विद्यमान रहेंगे।


By-Ajit Ojha

No comments