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जब डाक्टरों ने मान ली हार तो ‘माँ’ के प्रसाद ने कर दिया चमत्कार


बलिया। इसे आस्था कहें या फिर वाकई चमत्कार जो भी हो, लेकिन है हकीकत। तभी तो जहां मेडिकल साइंस अपने को चुका मान लिया था वहां महज ‘प्रसाद’ ने कमाल कर दिखाया। न सिर्फ कमाल किया बल्कि एक मासूम की जिंदगी भी रौशन कर दी। आस्था के इस चमत्कार की जननी बनी पकड़ी धाम की माँ काली, जिनके प्रसाद मात्र से जनपद के उभांव थाना क्षेत्र अंतर्गत सरया डीहू भगत निवासी अवनीश तिवारी और उनकी पत्नी वंदना के जीवन का अंधियारा जाता रहा। 

उल्लेखनीय है कि आज से तकरीबन छह वर्ष अवनीश एवं वंदना को शाश्वत के रूप में पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। संतानोत्पति पर पूरे परिवार में जमकर जश्न मनाया गया, लेकिन धीरे-धीरे अवनीश व वंदना की जिंदगी से खुशियां जाती रही। कारण कि बच्चा जैसे-जैसे उम्र में बड़ा होता गया वैसे-वैसे उसके शरीर का विकास नहीं हुआ। नतीजतन वह उठने बैठने और चलने में स्वयं को असमर्थ पा रहा था। यह देख पति पत्नी का मात्था ठनका और बाल्यावस्था से ही दोनों शाश्वत का उपचार कराना शुरू किया। इसके तहत दोनों ने मऊ, वाराणसी और नई दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में शाश्वत का उपचार कराया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। परिणाम से क्षुब्ध माता-पिता ने थक हार कर इसे जीवन में विद्याता का कोप समझ कर स्वीकार कर लिया और निराशा और हताशा के सागर में डूब गये। लेकिन तभी उनके जीवन में उजाले का आगमन हुआ। अवनीश के बड़े भाई ओंकार तिवारी दिल्ली में किसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी करते थे किसी ने उन्हें फेफना थाना क्षेत्र के पकड़ी धाम स्थित माँ काली मंदिर की महिमा के बारे में बताया और शाश्वत को वहां ले जाने की नसीहत दी। 

यह बात उन्होंने अपने अनुज अवनीश को बताई। पहले अवनीश ने रूचि नहीं दिखायी, लेकिन बाद में उन्होंने पकड़ी धाम स्थित मां के दरबार में शाश्वत को ले जाने का निर्णय किया। यह घटना तकरीबन तीन वर्ष पूर्व की है। मां के दरबार में पहुँचने और वहां के पुजारी रामबदन भगत द्वारा प्राप्त मां का प्रसाद का जैसे-जैसे शाश्वत सेवन करता गया उसमें आश्चर्य जनक परिवर्तन दिखायी देने लगा। जो बच्चा कभी विस्तर से नहीं उठता था वह आज मां की कृपा से खड़ा होकर बकायदा चल फिर रहा है। आप बीति बताते हुए भावुक होकर अवनीश कहते है कि अगर हम मां के दरबार में नहीं आते तो शायद दुखो का बादल हमारे जीवन से कभी नहीं छटते। वो कहते है कि डाक्टरों ने शाश्वत को लेकर अपनी हार मान ली थी और  वापस भेज दिया था। लेकिन पकड़ी धाम के काली मां की कृपा से हमारे जीवन में उजाला वापस लौटा है। वह प्रत्येक शनिवार को धाम पर हाजिरी लगाना नहीं भूलते। उनके साथ उनकी पत्नी और पुत्र शाश्वत भी रहते है। 



डेस्क

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