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बलिया में सपा को ‘नारद संजीवनी’ की जरुरत !


-सपा को संकट से उबारने के लिए ‘राय’ का कद बढाना समय की मांग

बलिया। बात जंग-ए-आजादी की हो या आजादी के बाद के आंदोलन की। समाजवादी परचम यहां पूरी मजबूती से लहराता रहा है। समाजवादी पार्टी भी समाजवादी आंदोलन की तरह ही जिले की राजनीतिक दिशा दशा तय करती रही है पर वर्तमान समय में सपा जिले में धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है। पार्टी को मजबूत करने के लिए अब एक संजीवनी की आवश्यकता है जो वर्तमान में सिर्फ नारद राय से ही मिल सकती है। यूं कहे तो सपा को अब नारद संजीवनी की आवश्यकता है। सपा को जिले में या पूर्वांचल में पार्टी को मजबूत करने के लिए नारद राय का वजन व कद बढाना होगा।

जिले में कभी सपा में एक से बढ के एक दिग्गज अपनी सेवाएं दे रहे थे। मुलायम सरकार में की बार बलिया से मंत्रियों की फौज देकर इसका प्रमाण भी दिया जा चुका है। वर्तमान समय में परिस्थितियाँ बिल्कुल ही भिन्न हो गई हैं। अंबिका चौधरी के बसपा में और नीरज शेखर के भाजपा में शामिल होने से पार्टी जिले में कमजोर दिखने लगी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामगोविन्द चौधरी के कंधों पर बोझ बहुत ज्यादा है। ऐसे में पार्टी में अलग थलग दिख रहे नारद राय को फिर से मुख्य धारा में लाकर पार्टी जिले में अपना वजूद फिर से हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है। टीडी कालेज छात्रसंघ के अध्यक्ष के रुप में अपनी राजनीति प्रारंभ करने वाले नारद राय के पास संघर्ष का लंबा इतिहास हुए जनेश्वर मिश्र के राजनीतिक शिष्य ने कई बार मुलायम सिंह के निर्देश पर समाजवादी किला फतह किया है। पूर्वांचल में मजबूत भूमिहार नेता के रुप में अपनी छवि रखने वाले नारद राय हालांकि सपा छोड़ बसपा में शामिल हो पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था पर बाद में वे बसपा छोड़ फिर घरवापसी कर ली थी। नीरज शेखर के भाजपा में शामिल हाने के बाद सपा को अब एक संजीवनी की आवश्यकता है जो नारद राय हो सकते हैं। पार्टी यदि नारद राय का कद व वजन बढ़ाती है तो वर्तमान संकट से उबर सकती है।


शशिकांत ओझा की कलम से

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