आजादी के सात दशक बाद भी एक संपर्क मार्ग को तरस रहे मसहां के लोग
रतसर (बलिया)। वर्षो बाद भी जनऊपुर-तपनी सम्पर्क मार्ग नही बन सका है। इसके चलते आज भी ग्रामीण कच्चे और कीचड़ भरे रास्तों पर चलने को मजबूर है। देश को आजाद हुए सात दशक हो चुके है, लेकिन आज भी ग्रामीण गुलामी जैसा जीवन जीने को विवश है। इसकी परवाह करने वाला कोई नही है । गड़वार ब्लाक से दस कि.मी.दूर जनऊपुर-तपनी कच्चा मार्ग से मसहां गांव को जोड़ने वाला मुख्य सम्पर्क मार्ग की दूरी लगभग दो किमी है। और इन गांवों से प्रतिदिन लोगों का अपने कामों से रोजाना आना जाना लगा रहता है। लेकिन समस्या तब विकराल और हो जाती है जब वरसात शुरू हो जाती है और लोगों को चार महीने इन गांवों से जोखिम भरा यात्रा करनी पड़ती है। जब कच्चा रास्ता कीचड़ युक्त हो जाता है। आलम यह है कि इन बरसात के समय कोई बीमार हो गया तो समझो अस्पताल पहुंचना टेढ़ी खीर ही सावित होगा। क्योंकि न ही इन गांवो में चार पहिया वाहन जा सकता है और न ही एम्बुलेंस ही आ सकती है। सोचिए कैसे इन गांवों के लोग अपना जीवन जी रहे है। और कैसे अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे है। कई बार तो स्कूल जाते वक्त बच्चे कीचड़ में गिर जाते है तो अभिभावक बच्चों को स्कूल जाने से मना कर देते है। जबकि लोगों ने समस्या की शिकायत मुख्यमन्त्री से करने की तैयारी में थे कि ग्राम प्रधान व मन्त्री ने आश्वासन दिलाया था कि इस बारिश से पहले रास्ता दुरुस्त करा दिया जाएगा लेकिन बरसात शुरू हो गई और समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। और गांव के सैकड़ों परिवार आज भी बोदा कीचड़ से आने जाने को मजबूर है। इन तीनों गांव के ग्रामीण के अच्छे दिन कब आएगें इसी के इन्तजार में प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए बैठे है।
रिपोर्ट धनेश पांडेय
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