जाना हो छेरडी तो डालना होगा जोखिम में जान !
बलिया। एक और केंद्र व प्रदेश की सरकार है गांव के विकास के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है तो वहीं दूसरी ओर जिले में एक ऐसा भी गांव है, जहां लोग जान हथेली पर रखकर आवागमन करने को मजबूर हैं। ऐसा नहीं कि यहां के लोगों ने इस समस्या के निदान के लिए प्रशासनिक हुक्मरानों से लगायत जनप्रतिनिधियों तक से गुहार ना लगाई हो, लेकिन उनकी आवाज नक्कारखाने की तूती बन कर रह गई। उपेक्षा से आहत ग्रामीणों में अंततः बांस बल्ली के सहारे जैसे तैसे पुल का निर्माण तो किया लेकिन उस पर आवागमन खतरे से खाली नहीं है। बावजूद इसके लोग जान जोखिम में डालकर आवागमन को मजबूर है।
यह सूरते हाल बैरिया तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत छेरडी का है, जहाँ कई वर्षो से नहर पर टूट कर लटके पुल पर अपनी जान को जोखिम डाल कर आवागमन कर रहे।
बताते चले की कई गांवों को मुख्य सड़क से जोडने वाला यह पुल पिछ्ले कई वर्षो से धराशायी होकर छत का हिस्सा लटका था। जिस पर ग्रामीणों मिट्टी डाल कर आवागमन को जारी रखने का प्रबन्ध किया। पुल निर्माण के लिये पुर्व सांसद से लेकर विधायक तक को प्रार्थना पत्र दिया, लेकिन किसी ने तवज्जो देना मुनासिब नहीं समझा। अन्ततः नहर में घाघरा का पानी आने की वजह से देखते ही देखते वह पुल बह गया। यह पुल बलिया -बैरिया मार्ग को बांसडीह- बैरिया मार्ग से जोडता है। पुल टूटने के कारण अब लोगों को बैरिया-बलिया मार्ग तक आने के लिये 5 कोस की दुरी तय करनी पड़ रही है। जिससे लोगों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्तमान क्षेत्रीय विधायक अगर समस्या के समाधान के लिए पहल करते तो शायद आज हालात दूसरे होते। छेरडी से सटे बलिहार गाँव के लोगों का कहना है कि अगर पुलिया का निर्माण पहले हो गया होता तो आज आवागमन बाधित नहीं होता। बलिहार गाँव के कूल देवता अवदान ब्रह्म बाबा का स्थान भी छेरडी गांव में स्थित है। पुल टूटने के कारण इस गांव के लोग अपने कूल देव की नियमित पूजा नहीं कर पा रहे है ।
By-Ajit Ojha
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