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जाने मोदी सरकार ने संसद से क्यों मांगे 21246.16 करोड़ रुपये अतिरिक्त


नई दिल्ली । वित्त वर्ष 2019-20 के लिए सरकार ने संसद से 21246.16 करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च की मांग की है। इसमें 8820.62 करोड़ रुपये की राशि हाल ही में गठित दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लिए है। इस आशय की अनुदान की पूरक मांगें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में पेश की। इसमें कुल नकद व्यय 18995.51 करोड़ रुपये का होगा।
चालू वित्त वर्ष के लिए ये अनुदान की पहली पूरक मांगे हैं। इस महीने की शुरुआत से ही देश में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नए केंद्र शासित प्रदेश बने हैं। इसलिए 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर उनके लिए 8820.62 करोड़ रुपये का आवंटन किया जाना है। इसके अतिरिक्त रिकैपिटलाइजेशन बांड्स के जरिए आइडीबीआइ बैंक को 4557 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध करायी जानी है। इसका प्रावधान भी पूरक मांगों में किया गया है। साथ ही 2500 करोड़ रुपये का प्रावधान बीमा कंपनियों के पूंजीकरण के लिए किया गया है। केंद्र सरकार ने इस साल जुलाई में पेश बजट में 27.86 लाख करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया था। इसमें पब्लिक सेक्टर की कंपनियों का खर्च शामिल नहीं है।
अनुदान की पूरक मांगों की पहली किस्त में वित्त मंत्री ने सैन्य बलों के वेतन और भत्तों के अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए 1500 करोड़ रुपये की मांग भी की है। इसके अलावा अंतरिक्ष विभाग के लिए अतिरिक्त 666 करोड़ रुपये का प्रावधान पूरक मांगों में किया गया है। गृह मंत्रालय के मद में 3387.46 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान पुलिस के वेतन और राशन की लागत के व्यय को पूरा करने के लिए किया गया है। देश में गरीब परिवारों के लिए एलपीजी उपलब्ध कराने के व्यय को पूरा करने के लिए 1000 करोड़ रुपये की मांग रखी गई है।
जानकारों का कहना है कि टैक्स रेवेन्यू की धीमी रफ्तार के चलते सरकार को खर्च पूरा करने के लिए अतिरिक्त संसाधनों की आवश्यकता है। अनुदान की पूरक मांगों के तहत सरकार इसी अतिरिक्त खर्च की मांग संसद से करती है। आमतौर पर सरकार दो किस्तों में पूरक मांगे रखती है।



रिपोर्ट : डेस्क

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