बड़ी कार्यवाई : एनएचएम घोटाले के आरोपी लेखा प्रबंधक समेत तीन गिरफ्तार
बलिया: फर्जी बिल और सीएमओ के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर 50 लाख से अधिक की धनराशि गबन करने की कोशिश करने के आरोप में गुरुवार को एनएचएम के जिला लेखा प्रबंधक पवन कुमार वर्मा, स्वास्थ्य विभाग के दो लिपिक मुन्ना बाबू व मनोज यादव एक फर्म के प्रोपराइटर को गिरफ्तार कर लिया गया। इसमें तीन लाख रुपये फर्म के खाते में पीएफएमएस के जरिए भेज भी दिया गया है। इन सभी पर सुसंगत धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की जा रही है। संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन कुमार जैन की जांच में सरकारी धन की यह लूट पकड़ में आई है। जांच में उन्होंने यह भी पाया है कि 22 लाख और इससे ऊपर तक का भुगतान सिर्फ एक कोटेशन के आधार पर कर दिया गया है। कोई टेंडर नहीं, मात्र एक पेज की बिल के सहारे 50 लाख तक का भुगतान कर दिया गया है। सीएमओ द्वारा एफआईआर दर्ज कराने की कार्यवाही की जा रही है।
सीएमओ डॉ प्रीतम शुक्ला ने बताया कि ये दस्तखत जिस दिन का है, इस दिन वे जिले में थे ही नहीं, किसी शादी में गए थे। उसके बाद वहीं से हाईकोर्ट चले गए थे। यानि, सीएमओ को भी नहीं पता है कि ये दस्तखत कब के हैं। इसके अलावा बिना टेंडर के 50 लाख तक का भुगतान करने का प्रयास किया गया। यही नहीं, जो बिल लगाई गई है वह सत्यापित नहीं है। बिना सत्यापन किए ही तीन लाख रुपये का भुगतान कर भी दिया गया है।
घोटाले बाजों ने मृत सीएमओ को भी नहीं बख्शा
- स्वास्थ्य विभाग में वैसे तो बहुत सारे तरीके से गबन किए जाते हैं, लेकिन इस बार इन बाबुओं ने एक नया ही कारनामा कर दिखाया है। पूर्व सीएमओ डॉ.एसपी राय, जिनकी मृत्यु इसी वर्ष 12 फरवरी को ही हो चुकी है, उनके भी फर्जी दस्तखत कर लाखों रुपये के गबन करने की कोशिश की। वह साइन उनकी मृत्यु होने के बाद की तिथि में हुई है। देखने से भी साफ लग रहा था कि वह दस्तखत भी कम्प्यूटर से कलर स्कैन करके कंप्यूटराइज्ड तरीके से किया गया है। इसकी पुष्टि मौके पर मौजूद लेखा अधिकारियों ने लिया। पूर्व सीएमओ डॉ. एसपी राय की फरवरी में मृत्यु होने के तीन महीने बाद मई, 2019 में भी उनके दस्तखत कर लाखों रुपये इधर-उधर कर डाले।
एक दूसरे पर मढ़ने लगे आरोप
- स्वास्थ्य विभाग में 50 लाख से अधिक सरकारी धनराशि फर्जी तरीके से गबन करने की कोशिश का मामला जब पकड़ में आया तो संयुक्त मजिस्ट्रेट विपिन जैन ने सीएमओ के साथ जिला लेखा प्रबंधक (डैम) और दोनों लिपिक मुन्ना बाबू व मनोज यादव को कलेक्ट्रेट सभागार में तलब किया। वहां जब उन सभी बिल बाउचर को दिखाते हुए पूछताछ शुरू की तो पहले तो डैम और दोनों लिपिक ने एकदम चुप्पी साध ली। इसके कुछ देर बाद एक दूसरे के पास चार्ज होने का हवाला देते हुए आरोप मढ़ने लगे। यह सिलसिला कुछ देर तक चला। अंततः यह स्पष्ट हुआ कि 2 मई के पहले मुकेश भारद्वाज के पास चार्ज था, उसके बाद मनोज यादव के पास। कुल मिलाकर पूछताछ में इन तीनों की संलिप्तता सामने आई।
रिपोर्ट : अजित ओझा
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