माया के जाल में फंस कर मेंढक बना मनुष्य : अपरिमेय श्यामदास जी
बलिया। इस्कॉन मंदिर लखनऊ के अध्यक्ष अपरिमेय श्यामदास जी महाराज ने कहा है कि आहार, निद्रा, भय के मायाजाल में फंस कर मनुष्य पशु समान हो गया है। मनुष्य की सोच मेंढक के सदृश्य हो गई है। श्रीमद्भागवत गीता के अमृत पान से मनुष्य अपने जीवन को सार्थक कर सकता है।
बिल्थरारोड क्षेत्र के पलिया ग्राम में बुधवार की रात तक चले श्रीमद्भागवत सेमिनार में अपने सारगर्भित उद्बोधन में अपरिमेय जी ने श्रीमद्भागवत कथा की महिमा का बखान किया। उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के विभिन्न श्लोकों का उच्चारण कर मैं कौन हूं से लेकर मानव जीवन में आ रहे विसंगतियों का विशेष रूप से विवेचन किया। उन्होंने महाभारत के दौरान भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का उल्लेख करते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को आत्मा, परमात्मा, प्रकृति, कार्य और काल को लेकर उपदेश दिया था तथा मोहजाल में फंसे अर्जुन को धर्म की रक्षा के लिए युद्ध करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने शरीर के विभिन्न अवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि मनुष्य माया में फंस पर अपने सही अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता। अपने शरीर की पहचान संपन्नता से करता है, जबकि मनुष्य की वास्तविक पहचान आत्मा से होती है। निर्विवाद सत्य की अनुभूति वह नहीं कर पाता। उन्होंने कहा कि संसार में दो शाश्वत सत्य है। पहला मृत्यु निश्चित है तथा मृत्यु कब आएगी, यह किसी को पता नहीं। मनुष्य वाह्य आडंबर के प्रभाव में आहार, निद्रा, भय और मैथुन के मोहजाल में फस गया है और उसकी स्थिति कुएं के मेढ़क समान हो गई है। समाज में आई विसंगतियों पर प्रहार करते हुए उन्होंने मांसाहार, मदिरापान, गुटखा के सेवन से बचने का आवाहन किया।
कहा, स्नान करने से केवल शरीर पवित्र होता है, जबकि श्रीमद्भागवत कथा से अंतःकरण, मन और बुद्धि पवित्र होती है। उन्होंने गीता को वैदिक ग्रंथों का सार करार देते हुए कहा कि गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोक के अनुसरण और अमृतपान से अपने जीवन को सफल बना सकता है। गीता महाभारत का अमृत है और पाप से मुक्ति का सबसे सरल माध्यम भी है। गीता के उपदेशों को आत्मसात कर मनुष्य समस्त बंधनों से मुक्त हो जाता है। समस्त उपनिषदों का एक ही सार भगवान की सेवा है। इसके जरिए मनुष्य स्वर्ग का अधिकारी बन जाता है। अपरिमेय जी के सारगर्भित प्रवचन को सुन श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस मौके पर भोक्ता रामदास, देवीमाया दादरी ,धीरकृष्ण प्रभु, आकाश दास, रामदास, वंशबहादुर यादव, लालबहादुर यादव, अनूप कुमार हेमकर, बनारसी यादव, ब्रजभूषण सिंह, बिट्टू सिंह, अभिनय आदि मौजूद रहे।
डेस्क
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