नहीं रुक रहा पॉलिथीन का प्रयोग दुकानदार उड़ा रहे शासन के आदेश की धज्जियां
सिकन्दरपुर(बलिया) शासन द्वारा पॉलिथीन पर प्रतिबंध लगाने का फरमान जारी होते ही जिम्मेदारों ने कुछ दिन अमल किया लेकिन समय के साथ ही शासन के निर्देश को कूड़ेदान में डाल दिया। इसके चलते पॉलिथीन का प्रयोग आज भी बदस्तूर जारी है। प्रतिबंध के बाद भी पालीथीन पर्यावरण को सर्वाधिक क्षति पहुंचा रहे हैं। पॉलिथीन के प्रचलन ने जनता की अदालत में सरकार को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। खतरनाक दुष्प्रभाव को देखते हुए सरकार ने पॉलिथीन को पूरी तरह प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया। इस फैसले के मुताबिक प्रदेश में पॉलिथीन के प्रयोग पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गयी। निर्धारित समय पर जिम्मेदारों ने प्रदेश में कई फैक्ट्रियों पर ताला भी जड़ा। स्थानीय स्तर पर दुकानदार भी जुर्माना के डर से पालीथीन से बचने का प्रयास करने लगे थे। पालीथीन के विकल्प के रूप में कागजी थैले बाजार में आ गए थे। इससे उम्मीद हो चली थी कि पर्यावरण का दुश्मन का सफाया तय हैं। लेकिन कुछ दिन बाद ही प्रदेश सरकार के अभियान को काठ मार गया नतीजा क्षेत्र में खुलेआम पालीथीन का प्रयोग हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में कौन कहे स्थानीय कस्बा की दुकानों पर पॉलिथीन का खुलेआम प्रयोग हो रहा है। लेकिन जिम्मेदारों की आंखें बंद है। जानकारों की माने तो प्रत्येक दिन सिकन्दरपुर नगर में हर रोज 4 से 5 टन कचरा निकलता है। जिसमें वेस्ट पॉलिथीन की मात्रा सबसे अधिक होती है। यदि समय रहते पॉलिथीन पर प्रतिबंध वाले आदेश को अमलीजामा नहीं पहनाया गया तो आने वाले कल को भयावह होने से नहीं रोका जा सकता है।
रिपोर्ट-हेमंत राय
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