शहादत के पहले बेटे का मां को पैगाम, ध्वस्त कर दिया पाक का बंकर
जयपुर। राजस्थान के जयपुर जिले के गांव लुहाकना खुर्द के रहने वाले राजीव सिंह शेखावत 8 फरवरी को जम्मू कश्मीर के पुंछ इलाके दिगवार सेक्टर में पाकिस्तानी की ओर से की गई फायरिंग में शहीद हो गए थे। सोमवार को गांव लुहाकना खुर्द में अंतिम संस्कार किया गया। दस वर्षीय बेटे ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
राजीव की मां पुष्पा कंवर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि उन्हें इकलौते बेटे की शहादत पर गर्व है। वह सरहद पर तैनाती के दौरान जब भी फोन पर बातें करता था तो सेना की बहादुरी के चर्चे भी खूब करता था। छह फरवरी को उससे फोन पर बात हुई तब बेटा बता रहा था कि 'मां आज हमने पाकिस्तानी बंकर तोड़ दिए हैं। हमारी टुकड़ी में मैं सबसे आगे था', लेकिन ये किसे पता था कि खुद राजीव ही दो दिन बाद तिरंगे में लिपटकर घर आ जाएगा।
शहीद राजीव की मां पुष्पा देवी ने बताया कि 1984 में पति शंकरसिंह जम्मू-कश्मीर में तैनात थे। 18 फरवरी को आर्मी हॉस्पिटल में राजीव का जन्म हुआ। तब नर्स ने कहा था- बधाई हो, बहादुर बेटा हुआ है। ये शब्द 36 साल बाद सही साबित हुए। दुश्मनों से लोहा लेते हुए मेरा बेटा शहीद हो गया। शहीद राजीव के पिता शंकरसिंह राजरीफ बटालियन में सूबेदार रहे हैं। ससुर भंवरसिंह भी सेना में हैं।
शहीद राजीव सिंह शेखावत के दस वर्षीय बेटे अधिराज ने पिता की चिता को मुखाग्नि देने के बाद रात को उसने दादी के साथ खाना खाया। मां और दादी को मजबूत बनाते हुए कहा- आप चिंता मत करो। मैं आपकी इच्छा पूरी करूंगा। सेना में भर्ती होकर दुश्मनों से पिता की मौत का बदला लूंगा।
जयपुर शहीद राजीव सिंह शेखावत की बहन सीमा कंवर ने बताया कि सितंबर में पीहर आई थी, तब राजीव से मिली थी। हमेशा डाक से राखी भेजती थी। वो राखी बांधकर फोन करता था। अब भाई की राखी भी भतीजे के हाथ बांधूंगी। अब भाई तिरंगे में लिपटकर आया तो अंतिम विदाई के दौरान बहन सीमा ने अपने इकलौते भाई को ओढ़नी फाड़कर उसकी राखी बांधी।
पति राजीव की शहादत पर वीरांगना का रो-रोकर बुरा हाल है। वह बार-बार पति की फोटो निहारती रहती हैं। उनकी यादों में कुछ पल के लिए खो जाती हैं। फिर दहाड़ें मारकर रोने लगती हैं। कुछ देर बाद रुलाई खामोशी में बदल जाती है। बार-बार कहती हैं- कोई मेरे लव (अधिराज) के पापा को वापस लौटा दो।
बता दें कि राजीव सिंह शेखावत 2002 में सेना भर्ती हुए थे। दिसम्बर 2019 को छुट्टियों में घर आए थे। उसी समय श्रीगंगानगर में तैनात थे। आठ जनवरी को जम्मू कश्मीर लौटे थे। 18 फरवरी को राजीव का जन्म दिन है, मगर जन्मदिन से दस दिन पहले ही शहीद हो गए और तिरंगे में लिपटकर घर पहुंचे। अगले साल रिटायरमेंट था।
डेस्क
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