मजदूर व कमजोर तबका अब हो रहा बेहाल
चिलकहर( बलिया)जैसै जैसे लाक डाउन का समय बढ़ रहा है।कमजोर वर्ग के लोगों की परेशानियाँ भी बढ़ती जा रही है।लॉक डाउन कुछ लोगों के लिए काफी कठिन साबित हो रहा है। गरीब लोगों को एक जून की रोटी के लिये संघर्ष करना पड़ रहा है।शुरूआती दिनों मे समाजसेवियों व अन्नपूर्णा बैंक के माध्यम से समाज के वंचित व कमजोर लोगों को राशन सामग्री मुहैया करायी जा रही थी।जिससे इन लोगों को लगा कि काम बंद है तो भोजन सामग्री मिल रही है।सब चलता रहेगा।पर सड़क पर ऐसे लोगों को ग्रामीण अंचल मे आसानी से देखा जा सकता है जो दो जून की रोटी की जुगत मे लग रहा है।समय बीता समाजसेवियों की भी चाल मंद होकर रह गयी है।लाक डाऊन का महीना भर बीत गया जो मजदूर मजदूरी करके 300₹ प्रतिदिन कमाता था आज कार्यो के बंद होने से परेशान होकर रह गया है।सीमेन्ट बालू गिट्टी की दुकाने बंद है तो गांवो मे भवन निर्माण कार्य बंद पड़े हुये है।सरकार के निर्देश के बाद भी चिलकहर ब्लाक मे मनरेगा कार्य शुरू नही हो सके है।मजदूरों का कहना है कुछ कार्य शुरू हो जाते तो परिवार की जिवीकि चलती रहती।पर कागजी सफरनामा जमीन पर नही उतर पा रहा है।प्रशासनिक अधिकारी यह नही मानते कि मजदूरो व गरीबी क्या होती है मजदूर वर्ग कहता घूम रहा है कि।देखना हो तो सड़क छोड़ अधिकारी गांवो की उन बस्तियों मे जाये जहां पर मजदूर बसते हैं व जिनकी रोजी रोटी सिर्फ मजदूरी पर ही आश्रित है।हर गांवो मे दर्जनों दर्जनों ऐसे परिवार हैं जो लाक डाऊन मे अब परेशानी उठा रहे है।पर इनकी सूध लेने वाला कोई नही।ठेले खोमचे चलाने वाले व झोपडी मे चाय की दुकान चलाने वाले सब परेशान दिख रहे है।
रिपोर्ट : संजय पांडेय
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