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अब यों ही बदलता रहेगा मौसम का मिजाज : डा० गणेश पाठक



बलिया : गत वर्ष इह समय तक भीषण गर्मी पड़ने लगी थी। पारा कफी चढ़ गया था। किन्तु इस वर्ष ठीक उसके विपरीत 15 अप्रैल से ही मौसम में अनिश्चितता व्याप्त है और रह - रह कर आँधी - तूफान के साथ वारिस भी हो जा रही है। यही नहीं भयंकर ओले भी पड़ रहे हैं और आकाशीय बिजली का भी प्रकोप जारी है। मौसम की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए इस तरह की स्थिति 10 मई तक बरकरार रह सकती है। 
        अब प्रश्न यह उठता है या यों कहें कि लोगों के मन में भी यस शंका उठने लगी हे कि कहीं यह कोरोना का प्रभाव तो नहीं है। लेकिन मेरे समझ से हर बात को कोरोना से जोड़ देना अच्छी बात नहीं है और खासतौर से तब तक ,जब तक उसका कोई वैज्ञानिक आधार न हो। लेकिन यह प्रश्न तो स्वाभाविक है कि मौसम में ऐसा परिवर्तन क्यों हो रहा है।
        यदि भौगोलिक परिस्थितियों के आधार  पर देखा जाए तो अप्रैल- मई का महिना मौसम के संक्रमण काल का महिना होता है। जिसके चलते कुछ विशेष भौगोलिक परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं ,जिसके वजह से मौसम में बदलाव आता है। यह प्रक्रिया प्रतिवर्ष होती है । किन्तु ग्लोबल वार्मिंग में बदलाव के चलते परिस्थितियाँ विशेष रूप से बदलती रहती हैं। जहाँ तक इस वर्ष की बात है तो इस वर्ष कोरोना के प्रभाव से पर्यावरण के प्रत्येक पक्ष में बेहद सुधार हुआ है । जिसके कारण मौसम भी अपने मूलरूप में अपना प्रभाव दिखला रहा है। वैसे 15 अप्रैल से 15 मई का समय में एक विशेष प्रकार का आँधी- तूफान "काल बैसाखी" आता है , जिसके प्रभाव से मौसम में भयंकर उथल - पुथल होती है। इस वर्ष यह मौसमी बदलाव कुछ ज्यादा ही सक्रिय है। जिसका पूर्ण विवरण आगे प्रस्तुत किया गया है।




रिपोर्ट : धीरज सिंह

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