भविष्य में भी करना होगा लाकडाउन, जानें क्या है कारण
बलिया: वर्तमान समय में कोरोना काल में गंगा नदी में प्रदूषण काफी कम हो गया, जलकी मात्रा में वृद्धि हो गयी है। जलधारा अविरल एवं प्रवाहमान हो गयी है, जलीय जीवों की संख्या में वृद्धि हो गयी है। इस तरह लाकडाउन ने न केवल गंगा, बल्कि सभी नदियों सहित पर्यावरण के सभी अवयवों को एक नयी संजीवनी प्रदान किया है। किन्तु ज्यों ही लाँँकडाउन हटेगा, उद्योग धंधे चलने लगेंगे, परिवहन का संचालन होने लगेगा और मानवीय गतिविधियाँ तेज हो जायेंगी, पर्यावरण भी पुनः अपनी पुरानी स्थिति को प्राप्त करता जायेगा। पुनः हमारी चिंता बढ़ने लेगेगी। यह बातें पर्यावरणविद् डा. गणेश पाठक ने कही।
सवालिया लहजे में उन्होंने कहा कि
तो क्या यह सम्भव नहीं है कि पर्यावरण को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने हेतु तथा चीरकाल तक पर्यावरण के कारकों को अक्षुण बनाये रखे जाने हेतु,इस लाँकडाउन की प्रक्रिया को हम समय - समय पर लागू रखें, ताकि हम पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी को सुरक्षित तथा संरक्षित रख सकें।
क्या यह नहीं हो सकता कि सरकार समय - समय पर पर्यावरण संरक्षण हेतु भी लाँकडाऊन के नियमों का पालन करने हेतु कानून बनाए। धीरे-धीरे यह लाँकडाउन जब हमारे जीवन का अंग बन जायेगा तो पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी के कारक भी सुरक्षित रहते हुए एवं विकसित होते हुए मानव जीवन को भी सुरक्षित एवं संरक्षित रख सकेंगे और हमारा भविष्य भी सुरक्षित रहेगा।
रिपोर्ट : धीरज सिंह
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