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कोरोना काल में प्रवासियों मजदूरों का दर्द मज़दूर है मजबूर भी


रसड़ा (बलिया) वैश्विक महामारी कोरोनावायरस फैलने से भारत का गांव रो पड़ा है । भारत कृषि प्रधान देश है और ज्यादातर लोग गांवों का देश है  पूर्व में हम अक्सर सुनते थे नेताओं से अभिनेताओं से बुद्धिजीवी इंसानों से की भईया धरती बचाओ इसको प्रदूषित मत करो। अब सारे के सारे इंसान ठहरे बुद्धिमान काहे सुने बुद्धि की बात। लो तो आ गया कोरोना  उन्हें का पता की इस धरती को आपको बचाने की जरुरत नाहीं है इ खुद अपने को बचा लेगी आप खुद को बचाओ!हम इंसानों की उत्पति इस धरती पे केवल 2 लाख साल पहले हुआ लेकिन जितनी दुर्गत हमने किया इसकी उतनी तो 6 करोड़ साल पहले विलुप्त हुए डायनासोर भी नहीं किये, एक और मजेदार बात विलुप्त होने से पहले 16 करोड़ साल ठाठ से राज भी किया । खैर आते है वर्तमान मे,  पिछले 100 सालो से कारखाने खुले अंधाधुंध, पेड़ पौधे को  अंधाधुंध, कांटे जानवर मारे गए अंधाधुंध, हाल इ हुआ की दिल्ली मे बुद्धिजीवीयों को रात मे तारे दिखना बंद हो गए!अति बुरी बला है, इस अति की उपज समझे या चीनी मार्केटिंग का एजेंडा धमक आया कोरोनावायरस  अब देखिये जबकि अपने जान पे आया तो लोग डर के ही मारे सही धरती का दोहन तो छोड़ ही दिए,  मज़बूरी थी घर मे जो कैद हो गए
सियासी फरमान जारी किया जब शहरों में तबाही मचाई महामारी तो गांवों के तरफ कर दिया भयानक बिमारी शहरों से चलकर कोरोनावायरस रुपी बम अब गांवों में आकर फूट रहे हैं।
रोजाना इन्सानियत के रिश्ते टूट रहें हैं । गांव के लोगों के लिए अजनबी बन गया घर के लोगों के लिए मतलबी बन गया ।नव विवाहिता भी परदेश से आये पति जिसके साथ सात जन्मों तक अग्नि के सात फेरे लेने साथ निभाने का वादा किया था आज वह भी मुंह फेर रही है घर के झरोखों से पति को देखकर आंखें तरेर रहीं हैं।
मानों वह अपराधी है। मां का दुलारा, बापू का प्यारा गांव आते ही बन गया बिचारा ।इस दुनिया का मालिक कल भी ऊपर वाला था आज भी वही है ।
इ कोरोनावायरस  इस धरती के लिए मामूली वायरस था लेकिन अन्य जीव जंतुओं  की बढ़ती जनसंख्या पृथ्वी का शुद्ध वातावरण ओजोन परत का भर जाना मौसम का सुधर जाना बता रहा है की इंसानी हस्तछेप थोड़ा कम कर ले इंसान तो सब आल इज़ वेल हो जाएगा।
कोरोनावायरस से निपट लेंगे पूर्ण विश्वास है। लेकिन भईया लोग जो कोरोना  ने सिख दिया हमें बेमतलब का तफरी नहीं करना है अपने काम से बस मतलब रखना है एक दूसरे की मदद करनी है। प्रकृति से छेड़खानी तो बिल्कुले नहीं करनी है मतलब बिलकुल नहीं करनी है!और हा थोड़ा सयमित हो के आबादी पे भी ध्यान दे सकते है।
कोरोनावायरस तो एक ट्रेलर था अगर ना सुधरे  तो डायनासोर की जमात मे आते टाइम नहीं लगेगा स्वस्थ रहे मस्त रहे सावधान रहें सतर्क रहें।



रिपोर्ट : पिन्टू सिंह

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