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सम्भावित अराजकता बनाम जन-नैतिकता "क्या शराब की बिक्री इतनी ज़रूरी है?



आख़िर सोशल डिस्टेन्सिंग का क्या होगा?

बलिया : लॉक डाउन 3.0 के आरम्भ में ही केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा डावाँडोल होती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु दी गयी कई सारी ढीलों में से एक  शराब की दुकानों को खोलने का आदेश हैं। इस आदेश ने लॉक डाउन और सोशल डिसटेंसिंग दोनों को ही ताक पर रख दिया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये बिक्री, सड़क दुर्घटना, घरेलू हिंसा और कोरोना के मामले बाधा सकता। शराब पीने वालों से कोरोना संकट में लागू नियमों के पालन करने की संभावना भी काफी कम होगी।



कोरोना वायरस द्वारा जनित इस महामारी में जहाँ एक तरफ लोग अपनी जरूरत की सामग्रियों के लिए चिंतित हैं, ऐसे समय में शराब की दुकानों को खोल देना अपने आप में एक संकट लाया हैं।  आज कल जैसी परिस्थिति देखने में आती है उससे पिछले सभी लॉक डाउन फेल होने की संभावना बन रही है। फेल होता सोशल डिस्टेंसिंग और बढ़ते कोरोना के मामले के इस दौर में हम सबकी यह व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि इस दैहिक दूरी को बनायें रखे।



यह बात सही है कि आबकारी विभाग  किसी भी राज्य के राजस्व का एक बड़ा हिस्सा होता है। अपुष्ट सूत्रों से आ रही खबरों से माने तो दी गयी ढील के पहले दिन ही उत्तर प्रदेश में 100 करोड़ की शराब की बिक्री हुई। इस लिहाज़ से आबकारी विभाग तो राजस्व का मेरुदण्ड साबित हुआ.



सरकार का यह निर्णय एक जोखिम उठाने जैसा है, जिसने सारी जिम्मेदारी जनता पर डाली है. हम सब मिल कर शराब की बिक्री से सम्भावित अराजकता को अपने संयम, धैर्य और नैतिकता से पछाड़ेंगे और साथ ही हमें पूर्ण विश्वास है कि हम सभी मिलकर कोरोना संकट के इस दौर से मुस्कुराते हुए और स्वस्थ बाहर निकलेंगे।

Be careful... Be safe.


डॉ प्रीति उपाध्याय


रिपोर्ट : धीरज सिंह

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