सनबीम स्कूल बलिया के छात्रों ने अनूठे अन्दाज में मनाया मातृ दिवस
बलिया । माँ का कोइ दिन नहीं होता साहेब...
इनकी तो सदियाँ होती है...
हालांकि दुनिया में हर चीज के लिए कोई ना कोई दिन मुकर्रर है उसी क्रम में मातृ दिवस के लिए भी यह दिन निर्धारित किया गया है। *माँ* तो अपने आप में पूरी दुनिया है। यह एक शब्द *माँ* जिसमें सम्पूर्ण जगत ही समाहित है उसके लिए कोई एक दिन निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
मातृ दिवस के अवसर पर सनबीम स्कूल बलिया के इन नन्हे मुन्ने बच्चों ने अपने अपने अनूठे अन्दाज से अपनी जननी को गौरवान्वित करने का एक छोटा सा प्रयास किया है। कुछ छात्रों ने स्वंय निर्मित कार्ड के माध्यम से अपनी भावनाओं को कागज पर उकेरा है , तो कुछ ने सुन्दर सी कविता के माध्यम से अपने मन की भावना अपनी माँ तक पहुंचाने की कोशिश की है। वहीं कुछ बच्चों ने अपने नन्हे हाथों से माँ की पसंद का व्यंजन बनाकर उन्हें स्पेशल महसूस कराने का प्रयास किया है। किसी ने माँ को अपनी शक्ति का प्रतिक माना है, तो कुछ ने माँ को अपने सपनों को हकीकत का आधार माना है।
*चलती फिरती हुई आंखों में अजाँ देखी है।*
*हमने जन्नत तो नहीं देखी माँ देखी है।*
रिपोर्ट : धीरज सिंह
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