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हर गांव में तीन दिवसीय रोजगार दिवस का आयोजन 3 जून से



- प्रवासियों का मनरेगा जॉबकार्ड बनाने व कार्य की डिमांड लेने को चलेगा अभियान

- 21 दिन का क्वारंटाइन पीरियड खत्म होने के बाद रोजगार देने की पहल शुरू

बलियाः बाहर से आने वाले प्रवासियों को मनरेगा योजनान्तर्गत रोजगार दिलाने के लिए विकास विभाग प्रतिबद्ध है। संयुक्त मजिस्ट्रेट व मनरेगा उपायुक्त विपिन कुमार जैन ने इसके लिए तीन दिवसीय रोजगार गारण्टी दिवस के रूप में एक अभियान चलाने का निर्णय लिया है। यह अभियान 3 जून से 5 जून तक चलेगा। इसमें सभी बीडीओ, एडीओ पंचायत, पंचायत सचिव व रोजगार सेवक लगकर प्रवासियों या मनरेगा के तहत कार्य के इच्छुक लोगों का जाॅबकार्ड बनाएंगे। जिनका जाॅबकार्ड पहले से होगा उनसे कम से कम 28 दिन की कार्य की डिमांड ली जाएगी, ताकि उनको सतत रोजगार उपलब्ध कराया जा सके।
    मनरेगा उपायुक्त श्री जैन ने बताया कि 6 मई से ही देश के विभिन्न हिस्सों से रोजाना 5 से 6 हजार प्रवासियों के आने का सिलसिला जारी है। इनमें अधिक से अधिक लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने पर हमारा पूरा फोकस है। बताया कि 21 दिन का क्वारांटाइन पीडियड भी इनका खत्म हो रहा है। प्रतिदिन पांच हजार से अधिक लोग क्वारांटाइन पीरियड से बाहर आ रहे हैं। इन प्रवासियों को उनके ही गांव में रोजगार मिल सके, इसके लिए मनरेगा योजनान्तर्गत कार्य दिया जाना है, ताकि उनकी आर्थिक स्थिति खराब नहीं हो। उन्होंने बताया कि कार्य की डिमांड प्राप्त नहीं होने की दशा में कई लोगों को रोजगार नहीं मिल पा रहा था। इस अभियान में कम से कम 28 दिन के कार्य की मांग ली जाएगी। 

सर्वे में लगे ग्राम स्तरीय कर्मी भी करेंगे जागरूक

बाहर से आए प्रवासियों के खाते में शासन की ओर से एक हजार रूपए भेजे जाने की कार्यवाही चल रही है। इसके लिए चल रहे सर्वे में लेखपाल, सचिव व रोजगार सेवकों को बैंक खाता संख्या व आईएफएससी कोड व अन्य डिटेल इकट्ठा करने के लिए लगाया गया है। इस कार्य के दौरान भी ये ग्राम स्तरीय कर्मी मनरेगा योजनान्तर्गत जाॅबकार्ड की उपलब्धता, कार्य की डिमांग आदि के बारे में लोगों को जागरूक करेंगे।

मरीज भले ही डिस्चार्ज हो जाए, पर गांव रहेंगे सील

बलिया: संयुक्त मजिस्ट्रेट और कोविड-19 के नोडल विपिन कुमार जैन ने स्पष्ट किया है कि कोरोना पाॅजिटिव मरीज भले ही स्वस्थ होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाए, लेकिन उनका गांव कम से कम 21 दिन तक तो सील ही रहेगा। अगले 21 दिनों तक गांव में कोई मरीज नहीं मिलने की दशा में ही वहां लाॅकडाउन खत्म होगा। दरअसल, लोगों के बीच यह भ्रम है कि मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद गांव कण्टेन्मेंट जोन से बाहर आ जाएगा और लाॅकडाउन खत्म हो गया। लेकिन ऐसा नहीं है। अगले 21 दिनों तक गांव में कोई भी नया केस नहीं आने की स्थिति में ही कण्टेन्मेंट जोन से ग्रीन जोन में परिवर्तित होगा। उन्होंने इसका कारण स्पष्ट करते हुए बताया है कि कोरोना की चेन को तोड़ने के लिए ऐसा किया जाता है।

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