लद्दाख में पांच मई से जारी है चीन से तनातनी, जानिए पूरी कहानी
नई दिल्ली। सोमवार रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में जो घटना हुई है, उसके बाद भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंध नए मोड़ पर पहुंच गए हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच 15 जून को संघर्ष ने 45 साल बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर हिंसा का रूप लिया है। इस घटना में 20 भारतीय जवान शहीद हुए हैं तो चीन के भी 43 सैनिक मारे गए हैं। इंडियन आर्मी के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल संतोष बाबू भी इस घटना में शहीद हो गए हैं। सभी मान रहे हैं कि अब दोनों देशों के बीच संबंध पहले जैसे नहीं हो सकते हैं। टाइमलाइन के जरिए नजर डालिए कि पिछले डेढ़ माह से अब तक एलएसी पर क्या-क्या हुआ है।
5-6 मई- भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख के पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर हिंसक झड़प हुई। दोनों देशों के सैनिकों की तरफ से एक-दूसरे पर पत्थर फेंके गए और चीनी सैनिकों ने कील लगे डंडे से भारतीय जवानों पर हमला किया। दोनों तरफ के सैनिकों को चोट आईं और बताया गया कि इस टकराव में करीब 250 सैनिक दोनों तरफ से शामिल थे।
9 मई: तनाव और बढ़ा और इस बार उत्तरी सिक्किम के नाकू ला सेक्टर में भारत और चीन के सैनिक आपस में भिड़ गए। इस दौरान चार भारतीय और सात चीनी सैनिक घायल हुए, इस हिंसा में करीब 150 सैनिक दोनों तरफ से शामिल थे।
10 मई: भारतीय सेना की तरफ से नाकू ला में हुए संघर्ष पर आधिकारिक बयान जारी किया गया। सेना ने कहा कि सैनिकों के आक्रामक बर्ताव की वजह से दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए हैं। इसी दौरान सेना ने लद्दाख की पैंगोंग त्सो पर हुए संघर्ष की भी पुष्टि की।
12 मई: गलवान घाटी में तनाव बढ़ने की खबरें आईं। सेना की तरफ से आए बयान में कहा गया कि एलएसी पर टकराव और आक्रामक बर्ताव हुआ है और इसे सुलझा लिया गया है।
19 मई: पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग्स एरिया में तनाव बढ़ा। चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत की सेना पर एलएसी को पार करने का आरोप लगाया। चीन ने कहा कि उसे प्रतिक्रिया स्वरूप जरूरी कदम उठाने पड़े जब भारत की तरफ से चीनी जवानों की तरफ से हो रही सामान्य गश्त में बाधा डाली गई।
21 मई: भारत ने चीन के बयान का खंडन किया, कहा कि लद्दाख और सिक्किम सेक्टर में तनाव की वजह भारतीय जवान नहीं थे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की तरफ से जो भी गतिविधियां हो रही हैं, वह उसके अपने हिस्से में हैं और चीन सामान्य गश्त में बाधा डाल रहा है।
22 मई: सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे तनाव के बीच ही लेह स्थित 14 कोर के हेडक्वार्टर का दौर करने पहुंचे। जनरल नरवणे ने इस दौरान संवेदनशील सेक्टर्स का जायजा लिया। यहां पर उन्होंने जवानों की तैनाती और दोनों तरफ के मिलिट्री रि-इनफोर्समेंट को भी परखा।
25 मई: चीन ने करीब 5,000 सैनिक लद्दाख में भारत के हिस्से वाले सेक्टर में भेज, इसके बाद भारत की तरफ से भी जवानों को भेजा गया।
27 मई: सेना के टॉप ऑफिशियल्स ने पूर्वी लद्दाख समेत दूसरे सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की जिसमें चीन के साथ जारी टकराव पर भी बात हुई।
30 मई: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत और चीन के तनाव को सुलझाने के लिए मिलिट्री और डिप्लोमैटिक स्तर पर वार्ता जारी है। उन्होंने देश को भरोसा दिलाया कि सरकार किसी भी तरह से देश के सम्मान को चोट नहीं पहुंचने देगी।
2 जून: चीन के साथ एलएसी पर पहली बार जवानों की तैनाती पर रक्षा मंत्री ने आधिकारिक टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि एलएसी पर चीन के जवान भी मौजूद हैं और भारत की सेना पड़ोसी के हर कदम का जवाब देने के लिए तैयार है।
6 जून: एलएसी में चुशुल के ठीक सामने मोल्डो सेक्टर में 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीनी मेजर जनरल ल्यू लिन के बीच मुलाकात हुई। दोनों के बीच डि-एस्कलेशन प्लान पर चर्चा की गई।
9 जून: सेना के अधिकारी बोले चीन ने तीन जगहों से जवानों को हटाना शुरू कर दिया है। साथ ही भारत की तरफ से अपने बल को पीछे किया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा कि गलवान घाटी, पेट्रोलिंग प्वाइंट (पीपी) 15 और हॉट स्प्रिंग्स से सीमित मिलिट्री डिस-इंगेजमेंट शुरू हो चुका है।
10 जून: भारत और चीन के बीच एक और मेजर जनरल स्तर की वार्ता। दोनों देशों के अधिकारी गलवान घाटी में पीपी 14 पर मिले ताकि एलएसी पर हालात को बेहतर बनाया जा सके। यह चौथे दौर की वार्ता थी जिसमें टू-स्टार जनरल तनाव को कम करने की कोशिशों में लगे थे।
12 जून: मेजर जनरल रैंक के ऑफिसर पांचवी बार तनाव सुलझाने और डि-एस्कलेशन प्लान को लेकर मिले। चीन के डेप्थ एरिया यानी गहराई वाले इलाके में 8,000 जवान, टैंक्स, आर्टिलरी गन, फाइटर बाम्बर्स, रॉकेट फोर्स के अलावा एयर डिफेंस रडार्स भी तैनात थे।
13 जून: सेना प्रमुख ने कहा भारत और चीन की सेनाओं के बीच डिस-इंगेजमेंट एक चरणबद्ध तरीके से जारी है। एलएसी पर चीन के साथ हालात नियंत्रण में हैं।
15 जून: भारत और चीन के सेना प्रतिनिधियों की एक और मीटिंग। एलएसी की दो लोकेशंस पर वार्ता हुई जिसमें ब्रिगेडियर रैंक के ऑफिसर गलवान घाटी में तो कर्नल स्तर के ऑफिसर हॉट स्प्रिंग एरिया में मिले।
16 जून: गलवान घाटी में हिंसा की खबरों की सेना ने की पुष्टि। भारतीय सेना के कर्नल रैंक समेत 20 सैनिक शहीद, चीन की तरफ के 43 जवानों के मारे जाने की खबरें।
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