नहीं रहे भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति 'प्रणव दा'
नई दिल्ली। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया, उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर अपने पिता के निधन की जानकारी दी। प्रणब मुखर्जी पिछले कई दिनों से आर्मी अस्पताल में भर्ती थे, जहां उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती जा रही थी। सोमवार सुबह ही आर्मी हॉस्पिटल की तरफ से बयान जारी करते हुए बताया गया था कि प्रणब मुखर्जी की तबीयत बिगड़ रही है और शाम तक उनके निधन की खबर आ गई।
प्रणव दा को लोग आसमानी व्यक्तित्व वाला नेता कहते थे, जो कि जमीन से जुड़ा रहता था, कांग्रेस के संकटमोचक कहलाने वाले प्रणव मुखर्जी देश के लोकप्रिय नेताओं में शामिल थे। वह देश के 13वें राष्ट्रपति थे, उनके लिए 13 नंबर काफी महत्वपूर्ण रहा था, या यूं कह लीजिए 13 नंबर का काफी अहम रोल था उनके जीवन में, दिल्ली के जिस बंगले में वो रहते थे उसका नंबर भी 13 था, उनकी शादी भी 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी से हुई थी, 13 जून को ही राष्ट्रपति पद के लिए ममता बनर्जी ने प्रणब मुखर्जी का नाम प्रस्तावित किया था। संसद भवन में उनका जो ऑफिस था, संयोग से उसका नंबर भी 13 ही था।
प्रणब मुखर्जी को पहली बार जुलाई 1969 में राज्य सभा के लिए चुना गया था। उसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में राज्य सभा के लिए चुने गए। वे 1980 से 1985 तक राज्य में सदन के नेता भी रहे। मुखर्जी ने मई 2004 में लोक सभा का चुनाव जीता और तब से उस सदन के नेता थे।
माना जाता है कि यूपीए सरकार में प्रणब मुखर्जी के पास सबसे ज़्यादा जिम्मेदारिया थीं। उन्होंने वित्तमंत्रालय संभालने के अलावा बहुत से मंत्रिमंडलीय समूह का नेतृत्व भी किया। साल 2019 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
विरोधी दल के होने के बावजूद प्रणव दा के देश के पीएम नरेंद्र मोदी से काफी मधुर संबंध रहे, मोदी के लिए प्रणव दा पिता तुल्य थे, उनके निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने हमारे राष्ट्र के विकास पथ पर एक अमिट छाप छोड़ी है। एक विद्वान व्यक्ति उत्कृष्टता, एक विशाल राजनेता, वह राजनीतिक स्पेक्ट्रम और समाज के सभी वर्गों द्वारा उनकी प्रशंसा की गई, उनका जाना काफी दुखद है।
गृह मंत्री अमित शाह ने भी शोक प्रकट करते हुए ट्वीट किया है कि प्रणब दा का जीवन हमेशा हमारी मातृभूमि की सेवा और अमिट योगदान के लिए याद किया जाएगा। उनके निधन ने भारतीय राजनीति में एक बहुत बड़ा शून्य छोड़ दिया है। इस अपूरणीय क्षति पर उनके परिवार और समर्थकों के प्रति मैं संवेदना प्रकट करता हूं। ओम शांति शांति शांति।
डेस्क
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