मां की कृपा से नेत्रहीन सरोज को मिली देखने की शक्ति
बलिया: फेफना थाना क्षेत्र अंतर्गत पकड़ी धाम स्थित मां काली का मंदिर यूं ही लोगों की आस्था का केंद्र नहीं बना है. इसके पीछे मां काली की कृपा और भक्तों की आस्था के साथ साथ उनकी पूरी होती मुरादों की लंबी श्रृंखला है. जिसके कारण यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. यही नहीं मेडिकल विज्ञान से निराश सैकड़ों मरीजों के असाध्य रोगों का निदान मां के इस पवित्र आंगन में हुआ है. दल छपरा निवासी सरोज तो महज इसकी बानगी भर है.जिसको मां की कृपा से न सिर्फ देखने की शक्ति मिली बल्कि उसकी गई हुई आंखों की रोशनी भी लौट आई.
बात वर्ष 2015 की है, तब सरोज पुत्री उत्तम साहनी निवासी दल छपरा कक्षा 6 की छात्रा थी. अचानक खेलते वक्त उसकी आंख में धूल के कुछ कम पड़ गए. उसके बाद पहले एक आंख से और थोड़ी देर बाद दोनों आंख से दिखाई देना बंद हो गया. उसके माता पिता ने आंखों का काफी उपचार कराया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. चिकित्सकीय उपचार के उपरांत कोई सुधार न होने से निराश सरोज के परिजन काफी निराश थे. इसी दौरान किसी रिश्तेदार ने उन्हें पकड़ी धाम स्थित काली मंदिर जाने की नसीहत दी और मां के दरबार में अर्जी लगाने की बात कहीं. इसके उपरांत सरोज की माता बाल मुनीनी अपनी पुत्री के साथ पकड़ी धाम पहुंच गई. और मंदिर के पुजारी तथा मां काली के अनन्य भक्त रामबदन दास जी मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाने की गुजारिश की.
बकौल सरोज की माता, पुजारी रामबदन दास ने सरोज को माता प्रसाद दिया और अपनी रामी से उसके सिर को हल्का सा ठोक दिया जितना करना था कि सरोज की आंखों की रोशनी लौट आई और वह इस रंग बिरंगी संसार भूख ना देखने की स्थिति में आ गई. यह वाक्य जैसी घटित हुआ पकड़ी धाम स्थित मां के भक्तों ने मां काली का जयकारा लगाना शुरू कर दिया. जिससे पूरा वातावरण गुंजायमान हो गया. बाल मुनि ने बताया कि बाद में मां की कृपा से सरोज की शादी हुई और उसके दो बच्चे हैं. लेकिन उसने काली मां को कभी नहीं भुला. अक्सर वह मां के दरबार में आती है और आस्था के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है.
डेस्क
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