विश्व अल्जाइमर्स दिवस पर विशेष : बुजुर्गों के प्रति अपनापन दिखाए, उन्हें भुलने की बीमारी से बचाए
रतसर (बलिया) उम्र बढने के साथ ही तमाम तरह की बीमारीयां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती है। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढापे में भुलने की आदतों (अल्जाइमर्स - डिमेंशिया) की है। ऐसे बुजुर्गो की तदाद बढ रही है। उक्त बाते सोमवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के मिटिंग हाल में आयोजित "बुजुर्गो के प्रति अपनापन दिखाए, उन्हें भुलने की बीमारी से बचाए "विषयक गोष्ठी में कही। उन्होनें बताया कि अल्जाइमर्स दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य जागरुकता लाना है ताकि घर परिवार की शोभा बढाने वाले बुजुर्गो को इस बीमारी से बचाकर उनके जीवन में खुशियां लाई जा सके। इसी के तहत 21 से 27 सितम्बर तक चलने वाले राष्ट्रीय डिमेंशिया जागरूकता सप्ताह के तहत क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों के जरिये इस बीमारी की सही पहचान और उससे बचाव के उपायों के बारे में जागरुकता लाने की कोशिश की जाएगी। इसी क्रम में चिकित्साधिकारी डा० अमित वर्मा ने बताया कि अमुमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। या यूं कहे कि नौकरी पेशा से सेवानिवृत्त के बाद यह समस्या पैदा होती है। इसके लिए जरूरी है कि जैसे ही इसके लक्षण नजर आए तो जल्दी से जल्दी चिकित्सक से परामर्श करे ताकि समय रहते उनको उस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सके। रोजमर्रा की चीजों को भूल जाना, व्यवहार में परिवर्तन आना, रोज घटने वाली घटनाओं को भूल जाना, दैनिक कार्य न कर पाना आदि इस बीमारी के लक्षण है। इस भूलने की बीमारी पर नियन्त्रण पाने के लिए जरूरी है कि शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही मानसिक रूप से स्वस्थ रखे। इस अवसर पर फार्मासिस्ट अरुण शर्मा, एस.एन.त्रिपाठी,सत्येन्द्र पाण्डेय, पियुष कुमार, अनिल कुमार, एएनएम आशा पाण्डेय, अवधेश यादव मौजूद रहे।
रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय
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