जर्जर दीवारें व छत बयां कर रही पीएचसी की बदहाली
बेल्थरारोड, बलिया। नगरा क्षेत्र की जनता को बेहतर चिकित्सकीय सुविधा के लिए वर्षों पहले बना प्राथमिक स्वास्थ केंद्र अपने दयनीय स्थिति पर आंसू बहा रहा है। जर्जर दीवारें व छत अस्पताल की बदहाली को बयां कर रही है। कायाकल्प के इंतजार में अंतिम सांसें गिन रहे इस पीएचसी में चिकित्सक और कर्मचारियों के लिए बनाए गए आवास की हालत और भी ख़राब हैं इसमें रहना अपने जान जोखिम में डालने के समान है किसी भी क़ीमत पर रहने लायक नहीं है। आवास के छत और दिवार के टूट कर गिर रहे प्लास्टर की डर से 24 घंटे दूसरों की जान बचाने के लिए खड़े स्वास्थ कर्मियों की अब अपनी जान पर पड़ी है।
नगरा क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने हेतु सन् 1960 में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ।60 वर्षों में यह अस्पताल का भवन व कर्मचारियों का आवास जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात को देखकर ताज्जुब होता है कि जब चारों तरफ विकास की होड़ लगी है तमाम जनप्रतिनिधियों का दावा है कि विकास की गंगा बह रही है तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रति इन जनप्रतिनिधियों मे और विभागीय उच्चाधिकारियों में गंभीरता क्यूं नही? क्या इस प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र किस हालत में है इस पर किसी भी जनप्रतिनिधियों को दिखाई नहीं दे रहा है कई बार तो कर्मचारियों के ऊपर ही छत का प्लास्टर गिर चुका है और चोटिल भी हो चुके हैं कहते हैं कि पौष्टिक भोजन स्वच्छ वस्त्र तथा साफ़ सुथरा आवास मानव की कार्यछमता एवं जीवन को सुचारू रूप से सक्रीय रखने के लिए न्यूनतम एव वांछनीय आवश्यकताएं होती हैं और इनकी उपलब्धि नितांत आवश्यक है। लेकिन लाख प्रगति के बावजूद भी अस्पताल कर्मियो को अच्छे आवास की व्यवस्था उपलब्ध नहीं होना। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अस्तित्व पर सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। जो जन प्रतिनिधि विकास के दावे कर रहे हैं उनके इस दावे पर खोखला साबित कर रहा है व उच्चाधिकारियों की निरंकुशता उदासीनता को दर्शाता है। वर्तमान समय में यह अस्पताल नगरा ब्लाक के लगभग तीन लाख लोगों की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराता है। क्षेत्र में आये दिन छोटी बड़ी दुघर्टनायें होती रहती है।उसके मेडिकल से लेकर अन्य सेवाओं का जिम्मेदारी इस पी एच सी कि है इसके अलावा यहां रोज़ाना करीब 150 से 200 लोगों का इलाज किया जाता है। वैसे तो क्षेत्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित आधा दर्जन सरकारी अस्पताल है लेकिन घटना दुर्घटना होने पर लोग सबसे पहले इसी अस्पताल पर पहुंचते है। इस अस्पताल और स्वास्थ्य कर्मियों के जर्जर हो चुके भवन के मरम्मत पर हर साल विभाग द्वारा लाखों रुपए का वारा न्यारा किया जाता है। अब योगी सरकार ने पुराने व जर्जर सरकारी संस्थाओं के नए निर्माण हेतु जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है, इस अस्पताल के चिकित्सकों व कर्मचारियों को उच्चाधिकारी के तरफ नजरे लगाये बैठे हैं कि कब उनका निगाह इस अस्पताल व कर्मचारि आवास पर पड़ेगा जिससे इस अस्पताल व कर्मचारियों के आवास का निर्माण हो जाए ।
इस संदर्भ में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र नगरा के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ टी एन यादव ने बताया कि शासन द्वारा खस्ताहाल भवनों की सूची मांगी गई है जो भेज दी गयी है ।
संतोष द्विवेदी
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