बकरी के अरूई का पत्ता खाने के पीछे क्यों किया अपने सगे भाई का खून?
रतसर (बलिया) गड़वार थाना क्षेत्र के रतसर खुर्द (अलावलपुर) नगर पंचायत में मंगलवार को मृतक छट्ठू वर्मा की बकरी ने बड़े भाई किशुन वर्मा के खेत से अरुई की पत्ती खा गई और खून के प्यासे बड़े भाई ने अपने सगे छोटे भाई की बड़ी बेरहमी से लाठी डंडो एवं ईंट पत्थर से कुचलकर नृशंस हत्या कर दी। इतनी छोटी सी बात पर क्या कोई भाई अपने सगे खून की हत्या कर देगा। इसके पीछे की कहानी कुछ और बयां करती है। रतसर खुर्द निवासी स्व० अलगू वर्मा की चार संतानों में क्रमशः श्री वर्मा, सोहन वर्मा, किशुन वर्मा एवं सबसे छोटा पुत्र मृतक छट्ठू वर्मा थे। बुढी मां सरस्वती देवी (78) ने आखों में आंसू भरे बदहवाश हालत में बताया कि जब छोटे पुत्र छट्ठू का जन्म भी नही हुआ था उसके पहले ही मेरे पति ने पुत्रों के दबाव में आकर अपनी पूरी जमीन जायदाद मेरे तीनों पुत्रों के नाम रजिस्ट्री कर दी। उसके बाद छोटे पुत्र छट्ठू का जन्म हुआ। समय के साथ मुझे और मेरे छोटे पुत्र को तीनों लड़कों ने अलग कर दिया। किसी तरह से अपने छोटे लड़के के साथ अपना जीवन यापन कर रही थी। मृतक छट्ठू घर पर ही रहकर मेहनत मजदूरी कर घर का खर्च चलाता था। शादी के बाद मृतक अपनी मां के साथ ही पत्नी कलावती देवी पुत्री ममता(11) एवं मुकेश(6) को लेकर किसी तरह से जीवन यापन कर रहा था। हालांकि कई बार जमीन की हिस्सेदारी को लेकर अपने रिस्तेदारों एवं पास पड़ोस के लोगों को बुलाकर पंचायत भी कराई गई थी। मृतक छट्ठू का कहना था कि एक ही माता-पिता के चार लड़के है तो हमारा भी उस जमीन जायदाद में एक चौथाई हिस्सा बनता है लेकिन तीनों भाइयों ने साफ-साफ मना कर दिया कि पिता की लिखी हुई रजिस्ट्री में से एक धूर भी नहीं देंगे। इसी बात को लेकर आए दिन आपस में विवाद होता रहता था। हालांकि कि इस बात को लेकर उसके मन में हमेशा संशय बना रहता था कि कही आपस में मिलकर मेरे सगे भाई ही मेरी हत्या न कर दे। शंका को भांपते हुए विवाद के ठीक एक दिन पहले उसने पुलिस से मिलकर अपने जानमाल की सुरक्षा के लिए गुहार भी लगाई थी लेकिन पुलिस ने इस घटना को हल्के में लिया और परिणाम स्वरूप उसकी हत्या हो गई। अब उसी बुढ़ी बेवा मां का क्या होगा। पत्नी कलावती भी अस्पताल में जीवन-मृत्यु के बीच जुझ रही है। वहीं मासूम ममता एवं मुकेश का भी रो रोकर बुरा हाल है। वह अभी समझ ही नही पा रहे है कि कल तक एक हंसता खेलता परिवार आज जमीन के टुकड़े के लिए अपने सगे ही जान के दुश्मन बन जाएगें। मासूम मुकेश ने बताया कि पापा दिन भर कहीं रहते थे शाम को जरूर बिस्कूट लाते थे वहीं बेटी ममता ने बताया कि पापा मुझे अच्छे स्कूल में दाखिल कराकर डाक्टर बनाना चाहते थे। अब किसके भरोसे हम लोग सपना देखेंगे। मां ने पापा कुछ रोज पहले ही कहा था कि आए दिन विवाद से अच्छा है कि यहां से सब कुछ छोड़कर कहीं बाहर चला जाए। लेकिन जिस बात का डर हमारे परिवार को था वही हुआ। आज हम लोगों के सिर से पिता का साया उठ गया वही मां भी जीवन-मृत्यु के मझधार में फंसी हुई है। इस मामले में गड़वार एसओ राजीव सिंह ने बताया कि मंगलवार से ही आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर जगह-जगह दबिश दी जा रही है। आरोपी मोबाइल भी घर पर ही छोड़कर फरार हो गए है जिसके कारण लोकेशन ट्रेस नही हो पा रहा है लेकिन जल्दी ही आरोपी गिरफ्त में आ जाएगें।
रिपोर्टःधनेश पाण्डेय
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