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टूटी पुलिया पर जान जोखिम डाल आवागमन के लिए मजबूर है ग्रामीण


रतसर (बलिया) विकास खण्ड गड़वार के नगर पंचायत में सम्मिलित डेढ़ हजार की आबादी वाले गांव भैरोबांध के बांशिदे टूटी पुलिया के जरिये जान जोखिम डालकर यात्रा करने को मजबूर है। यह स्थिति विगत दो वर्षो से है। पुलिया निर्माण के लिए ग्रामीण शासन-प्रशासन से गुहार लगाते लगाते थक गए है लेकिन पुलिया का निर्माण उनके लिए अब भी यक्ष प्रश्न बना हुआ है। नूरपुर से भैरोबांध को जोड़ने वाले मार्ग पर दो दशक पूर्व विधायक निधि से बनी पुलिया दो वर्ष पूर्व सामान लदे ट्रैक्टर ट्राली का भार सहन नही कर सकी और पुरी तरह ध्वस्त हो गई। पुलिया के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने सम्बन्धित जन प्रतिनिधियों से लगायत शासन-प्रशासन से बार-बार शिकायत की और दो वर्ष पूर्व सम्पन्न हुए लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करके भी अपना विरोध जताया लेकिन आज तक जस की तस बनी हुई है। मायुशी के आलम में गांव वाले बांस - बल्ली से मचान बनाकर जोखिम पूर्ण आवागमन के लिए मजबूर है। गांव वालों की विकट स्थिति तब हो जाती है जब बरसात के मौसम में प्रसव पीड़िता या गम्भीर मरीजों को चारपाई पर लादकर एम्बुलेंस तक लाना पड़ता है। इस बावत प्रदेश सरकार के स्वतन्त्र प्रभार राज्यमन्त्री उपेन्द्र तिवारी ने बताया कि ग्रामीणों की मांग पर पुलिया निर्माण के लिए टेंडर हो चुका है। बरसात के मौसम समाप्त होने के तत्काल बाद पुल निर्माण का कार्य शुरू करा दिया जाएगा।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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