परिवार नियोजन की अलख जगाने को होंगे सास-बेटा-बहू सम्मेलन
रिपोर्ट : धीरज सिंह
*मिशन परिवार विकास वाले जिलों में 20 सितम्बर से आयोजित होंगे सम्मेलन
*परिवार नियोजन में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए उठाया खास कदम
बलिया। परिवार नियोजन व जनसंख्या स्थिरीकरण में पुरुषों की भागीदारी बेहद अहम है। इसी संदेश को जन-जन तक पहुंचाने व परिवार नियोजन कार्यक्रमों को गति देने के लिए प्रदेश के मिशन परिवार विकास वाले जिलों में 20 सितंबर से 20 अक्टूबर तक सास-बेटा-बहू सम्मेलन आयोजित होंगे | इसका उद्देश्य सास व बहू के मध्य समन्वय एवं संवाद को उनके पारस्परिक अनुभवों के आधार पर रुचिकर बनाने में खेलों व अन्य गतिविधियों का सहारा लिया जा सकता है, जिससे वह प्रजनन स्वास्थ्य के प्रति अपनी अवधारणाओं, व्यवहार एवं विश्वास में बदलाव ला सकें | इस संबंध में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश की मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने जिलाधिकारियों व मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी किया है | यह जानकारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/ ए सी एम ओ आर सी एच डॉ० सुधीर कुमार तिवारी ने दी। उन्होंने बताया कि पत्र में जिक्र है कि प्रायः यह देखा गया है कि परिवार में लगभग सभी निर्णयों में पुरुषों की सहमति सर्वोपरि होती है, इसलिए सास – बहू सम्मेलन के दौरान पुरुषों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए बेटे का भी प्रतिभाग किया जाना आवश्यक है। यहाँ बता दें कि सास-बेटा-बहू सम्मेलन में बेटा का आशय सास के बेटे यानि प्रतिभाग करने वाली बहू के पति से है। पत्रानुसार बताया गया है कि सास-बेटा-बहू सम्मेलन का आयोजन उप केंद्र स्तर पर किया जाएगा। प्रत्येक उप केंद्र पर 10 से 12 आशा कार्यकर्ता होती हैं, इसलिए समस्त आशा कार्यकर्ताओं द्वारा सास-बेटा-बहू सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। प्रत्येक माह आशा द्वारा हेल्थ प्रमोशन दिवस का आयोजन किया जाता है, इसलिए सितंबर व अक्टूबर के दौरान हेल्थ प्रमोशन दिवस का आयोजन सास-बेटा-बहू सम्मेलन के साथ जोड़कर किया जाएगा, जो परिवार नियोजन थीम पर आधारित होगा। प्रत्येक सास-बेटा-बहू सम्मेलन में प्रति आशा 8 से 10 परिवार से सास, बेटा व बहू सहित लगभग 90 प्रतिभागी प्रतिभाग करेंगे।
*इन्हें दी जाएगी प्राथमिकता –*
- विगत एक वर्ष के दौरान नव विवाहित दंपत्ति
- विगत एक वर्ष के अंदर उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिला
- ऐसे दंपत्ति जिन्होने परिवार नियोजन का कोई भी साधन नहीं अपनाया है
- ऐसे दंपत्ति जिनके तीन या तीन से अधिक बच्चे हैं
- आदर्श दंपत्ति – ऐसे दंपत्ति जिनका विवाह से दो वर्ष बाद पहला बच्चा हुआ हो, जिनके पहले बच्चे से दूसरे बच्चे में कम से कम तीन वर्ष का अंतराल हो या दंपत्ति ने दो बच्चों के बाद परिवार नियोजन का स्थायी साधन (पुरुष व महिला नसबंदी) अपनाया हो।
*सम्मेलन में यह होंगी गतिविधियाँ –*
- प्रतिभागियों का परिचय
- खेल का आयोजन (गुब्बारा खेल)
- दंपत्ति अपने अनुभवों को साझा करेंगे
- परिवार नियोजन संबंधी महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर जानकारी प्रदान की जाएगी
- परिवार नियोजन प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता
- परिवार नियोजन संबंधी संदेश एवं शपथ
- पुरस्कार एवं शगुन किट का वितरण, सूक्ष्म जलपान।
*क्या है मिशन परिवार विकास –* प्रदेश के लगभग 51 ऐसे जिले हैं जिनकी सकल प्रजनन दर (टीएफ़आर) तीन (3.0) से अधिक है उन सभी जिलों को मिशन परिवार विकास में शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत परिवार नियोजन को लेकर अधिक प्रभावी रूप से जागरूक करने व स्थायी-अस्थायी साधनों की उपयोगिता पर अधिक ज़ोर दिया जाता है।
*मिशन परिवार विकास के तहत मिलती है प्रोत्साहन राशि –* इसके अंतर्गत आने वाले जनपद में लाभार्थियों को स्थायी और अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों को अपनाने पर प्रतिपूर्ति राशि भी दी जाती है। नसबंदी कराने वाले पुरुषों को 3000 रुपये और महिलाओं को 2000 रुपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। इसके अलावा पोस्टपार्टम स्टर्लाईज़ेशन (प्रसव के तुरंत बाद नसबंदी) कराने वाली महिलाओं को 3000 रूपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। जबकि अस्थाई विधियों में पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के लिए लाभार्थी को 300 रुपये तथा अंतरा इंजेक्शन लगवाने वाली लाभार्थी को 100 रुपये की प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है।
No comments