परसोत के पानी से हजारों एकड़ कृषि योग्य भूमि जलमग्न, सैकड़ो घरों में घुसा बरसात का पानी
रेवती (बलिया ) "पिंजरें के पंक्षी रे तेरा दर्द जाने कोय" कमोवेश इसी स्थिति से परसोत के पानी के जल जमाव से घिरे मरौटी गांव के लोग रूबरू हो तमाम दुश्वारियां झेलने को विवश है । केशव सिंह, राजनारायण गोड, बिसनी गोंड, अरूण चौहान सन 2008 में कटान से विस्थापित यहां झोपड़िया लगा कर परिवार के साथ मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे है । रेवती दत्तहां संपर्क मार्ग से सटे बसे सड़क के दोनो तरफ नालों में पानी भरा हुआ है। अगल बगल के खेत भी महिनों से जलमग्न हो चुके है। बीते दो सप्ताह से घरों में पानी प्रवेश कर जाने से सड़क पर माल मवेशी सहित शरण लिये हुए है । भोजन बनाने से लेकर शौच करने व पेयजल की भी किल्लत झेल रहें हैं । कमोवेश यही स्थिति भैसहां गांव के यादव , बीन टोली , हरिजन, पासवान तथा राजभर बस्ती की है। ये लोग भी 2008 में सरयू के कटान से विस्थापित हो यहां वहां जमीन खरीद कर बसे हुए हैं । सैकड़ों घर परसोत के पानी से घिरे बाढ़ की सी स्थिति का सामना कर रहे है। तमाम कोशिश के बावजूद देवपुर मठिया रेगुलेटर से सुरक्षित क्षेत्र में सरयू के पानी के रिसाव के चलते पहले से जमा परसोत का पानी घटने के बजाय उसका लेवल बढ़ रहा है। प्रशासन व जिम्मेदार इसको प्राकृतिक आपदा न मानते हुए चुप्पी साधे हुए है । ऐसे में प्रभावित परिवार तमाम दुश्वारियां झेलने के लिए विवश है।
पुनीत केशरी
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