शिष्टाचार व संस्कृति की जननी है हिंदी : बब्बन विद्यार्थी
दुबहर, बलिया । भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग भाषाएं बोली जाती हैं, किंतु जो भाषा संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांधती है वह है- हिंदी। यह भाषा विविधता में एकता को सिद्ध करती है। शिष्टाचार एवं संस्कृति की जननी ही नहीं बल्कि हिंदी हिंद की पहचान है। उक्त उद्गार सामाजिक चिंतक एवं गीतकार बब्बन विद्यार्थी ने हिंदी दिवस के अवसर पर मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आज भले ही हिंदी बोलने वालों की संख्या अपने देश एवं विदेशों में बढ़ रही है। लेकिन इंग्लिश का बढ़ता प्रचलन हिंदी भाषा की गरिमा के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का विषय है। हमारे देश में भाषाओं की बहुलता के कारण भाषाई वर्चस्व की राजनीति ने भाषावाद का रूप धारण कर लिया है। इसी भाषाबाद की लड़ाई में जो सम्मान हिंदी को मिलना चाहिए, वह नहीं मिल सका है। इस विषय पर हम हिंदुस्तानियों को गौर करने की जरूरत है।
रिपोर्ट:-नितेश पाठक
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