आस्था के तालाब में कचरे का विसर्जन, संरक्षण के अभाव में ऐतिहासिक तालाब पर संकट
रतसर (बलिया):कभी संस्कृति व सभ्यता के प्रतीक माने जाने वाले तालाब व पोखरे आज बदहाली के कगार पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब व सरोवर का खास महत्व था। आज भी कई तरह के संस्कार तालाबों के तट पर ही किए जाते हैं। यह परम्परा तो कायम है लेकिन लोगों के तालाबों के प्रति प्रेम में कमी देखी जा रही है। अब कई पौराणिक व ऐतिहासिक तालाब,सरोवर विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। गड़वार विकास खण्ड स्थित जनऊपुर गांव में बने तालाब से लोगों की असीम श्रद्धा जुड़ी है। यहां दीपावली व छठ के अवसर पर इसके घाट के किनारे मेला लगता है। यहीं पर प्राचीन तारकेश्वर नाथ महादेव मन्दिर स्थित है। कभी ग्रामीण इस ऐतिहासिक तालाब में स्नान करते थे। कपड़ा धोना व साबुन का प्रयोग वर्जित था। संत मनीषियों का कभी यह जगह रैन बसेरा हुआ करता था। आज उस तालाब में चहुंओर गंदगी का साम्राज्य फैल गया है। पानी पुरी तरह से सुख गया है। इसके चारों ओर घेरा न होने के कारण यहां स्थित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले मासूमों की जिंदगी को हमेशा डर बना रहा है। विगत वर्षों में एक- दो हादसों के कारण अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते है। गांव के श्री गणेश पाण्डेय, तारकेश्वर पाण्डेय, बब्बन पाण्डेय, पूर्व प्रधान राजेश पाण्डेय ने बताया कि समय रहते इस दिशा में ठोस पहल नहीं हुई तो भविष्य में यह धरोहर इतिहास के पन्नों में सिमट जाएगी।
रिपोर्ट : धनेश पांडेय
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