बिना संघर्ष के नही सँवरता जीवन:-जीयर स्वामी
दुबहर । क्षेत्र के गंगा नदी पर बने जनेश्वर मिश्रा सेतु के निकट नगवां, जनाड़ी और ब्यासी गांव की सीमा पर हो रहे चतुर्मास यज्ञ में कथा प्रवचन करते हुए परम पूज्य लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी ने कहा कि कथा मनुष्य के जीवन के व्यवहार में परिवर्तन लाती है कथा सोए हुए मनुष्य को अंदर से जगाती है किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए यह हमें कथा सिखाती है । उन्होंने कहा कि कथा का प्रचलन पचास हजार करोड़ वर्ष पहले से है सृष्टि के आरंभ से ही कथा सुनने और सुनाने की परंपरा चली आ रही है । उन्होंने कथा के दौरान कहा कि दुनिया में जितने भी दर्शन हैं सभी दर्शन के लोगों ने भारतीय सनातन दर्शन से ही शिक्षा ग्रहण किया है । सनातन दर्शन भी सृष्टि के आरंभ से शुरू हुआ है । उन्होंने मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए सनातन संस्कृति के मर्यादाओं का पालन करने के लिए कहा । कहा कि आज दुनिया में जो भी व्यक्ति आगे बढ़ा है ,सफल हुआ है उसके जीवन में जरूर विषम परिस्थितियां आई होगी जिसके चलते वह संघर्ष करके आज अपनी मुकाम और लक्ष्य को प्राप्त किया है । बिना संघर्ष और तपस्या के जीवन में कुछ नहीं मिलता है । उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर ही ईर्ष्या और डाह एक ऐसी चीज है जो उसे आगे बढ़ने नहीं देती । इसलिए ईर्ष्या और डाह से दूर रहना है । कहा कि जो प्रकृति के अधीन रहता है वह जीव है और जो प्रकृति को अपने अधीन करता है वह ईश्वर है । कहा कि शास्त्रार्थ का मतलब शास्त्र का उचित अर्थ समझना और समझाना होता है । ज्ञात हो कि चतुर्मास यज्ञ के आरंभ होते ही अनेक क्षेत्रों के लोग भारत के मनीषी संत लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी के दर्शन के लिए सुबह और शाम उनके कथा में सम्मिलित होने के लिए भारी संख्या में आ रहे हैं ,ऐसा लग रहा है कि क्षेत्र में संत मनीषि के आगमन से पूरा वातावरण भक्तिमय और धर्ममय हो गया है लोगों की भक्ति और आस्था को देखते हुए कथा स्थल पर आयोजन समिति द्वारा भक्तों के बैठने तथा उनके प्रसाद की व्यवस्था का पूरा प्रबंध किया गया है । इसमें क्षेत्र के कई गांव के लोग पूरे जी-जान से लगे हुए हैं ।
रिपोर्ट:-नितेश पाठक
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