अखण्ड सौभाग्य कामना का व्रत हरितालिका तीज शुभ और सौम्य में होगा : पं०धनेश शास्त्री
रतसर (बलिया) सनातन धर्म में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज व्रत का विधान है। अखण्ड सुहाग व पुत्र-पौत्रादिक की अभिवृद्धि के लिए सौभाग्यवती स्त्रियां तो विवाह योग्य कन्याएं मनोनुकूल पति प्राप्ति के लिए व्रत रखती है। इस बार यह व्रत पर्व 30 अगस्त को किया जाएगा। खास यह कि हरितालिका तीज पर इस बार हस्त नक्षत्र व शुभ योग तीज बन रहा है। भाद्र शुक्ल पक्ष तृतीया 29 अगस्त को दोपहर 2 बज कर 39 मिनट पर लग रही है जो 30 अगस्त को दिन में 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। तीज व्रत का पारन 31 अगस्त को प्रातः किया जाएगा। जनऊपुर निवासी पं०धनेश शास्त्री ने बताया कि दुर्लभ संयोग शुभ योग हस्त एवं चित्रा नक्षत्र के कारण बन रहा है। साथ ही सौम्य योग में शिव पार्वती का पूजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि भादो शुक्ल पक्ष की तृतीया का आगमन सोमवार की दोपहर 2:38 बजे हो रहा है,जो अगले दिन मंगलवार को 2:32 बजे तक रह रही है।जबकि हस्त नक्षत्र का आगमन सोमवार की रात11:30 बजे हो रहा है। लेकिन यह मंगलवार की रात्रि11:53 बजे तक रह रहा है। शास्त्रों के अनुसार गोधुली बेला में जब हस्त नक्षत्र विद्यमान हो तो इस व्रत को अत्यंत ही फलदायी माना गया है। दोनों ही कारणों से ( उदय व्यापिनी तृतीया तिथि एवं हस्त नक्षत्र) मंगलवार को तीज व्रत मनाना अति शुभकर होगा।
हरितालिका तीज व्रत पूजा विधि :
हरितालिका तीज पर स्नानादि के बाद व्रत का संकल्प लें। पूजा स्थल को फल-फूलों से सजाकर रखे। एक चौकी लगाएं और उस पर शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा स्थापित करे।भगवान शिव और माता पार्वती के सामने एक दीपक प्रज्ज्वलित करें I इसके बाद श्रृंगार सामग्री से सुहाग की सारी वस्तुएं रखकर माता पार्वती को अर्पित करें I भगवान को विल्व पत्र,धतुरा,फल, फूल और मिठाई अर्पित करे। पूजा के बाद हरितालिका तीज की कथा सुनें और गरीबों को इच्छानुसार दान करें।रात में जागरण करें और सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।
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