सुख व दुःख जीवन के दो किनारे :- लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी
दुबहर:- सुख और दुख जीवन के दो किनारे होते हैं मनुष्य को सुख में और दुख में विचलित नहीं होना चाहिए। भगवान की कृपा समस्त जीवो तथा पशु पक्षियों पर सदैव बनी रहती है।
उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में अपने प्रवचन के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि भगवान अपने भक्तों को जरा भी कष्ट नहीं होने देते हैं गजेंद्र मोक्ष की कथा हमें यही बताती है।
गजेन्द्र मोक्ष की कथा का वर्णन श्रीमद भागवत पुराण में भी मिलता है। कथा के अनुसार क्षीरसागर में त्रिकुट नाम का पर्वत था. जिसके आसपास हाथियों का परिवार रहता था। गजेंद्र हाथी इस परिवार का मुखिया था।एक दिन घूमते-घूमते उसे प्यास लगी।परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही गजेंद्र पास के ही एक सरोवर से पाने पी कर अपनी प्यास बुझाने लगा।लेकिन तभी एक शक्तिशाली मगरमच्छ ने गजराज के पैर को दबोच लिया और पाने के अंदर खीचने लगा।
मगर से बचने के लिए गजराज ने पूरी शक्ति लगा दी लेकिन सफल नहीं हो सका। दर्द से गजेंद्र चीखने लगा। गजेंद्र की चीख सुनकर अन्य हाथी भी शोर करने लगे।इन्होंने भी गजेंद्र को बचाने का प्रयास किया लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. गजेंंद्र जब सारे प्रयास करके थक गया और उसे अपना काल नजदीक आते दिखाई देने लगा तब उसने भगवान विष्णु का स्मरण किया और उन्हें पुकारने लगा. अपने भक्त की आवाज सुनकर भगवान विष्णु नंगे पैर ही गरुण पर सवार होकर गजेंद्र को बचाने के लिए आ गए और अपने सुर्दशन चक्र से मगर को मार दिया।
ऐसी मान्यता है कि गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र का नियमित पाठ करने से कर्ज की समस्या से निजात मिलती है, वहीं गजेंद्र मोक्ष का चित्र घर में लगाने से आने वाली बाधा दूर होती है. इस स्तोत्र का सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद प्रतिदिन करना चाहिए।
रिपोर्ट :- नितेश पाठक
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