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बंधन और मोक्ष का कारण मन : - जीयर स्वामी



*मन को जगत के साथ जगदीश से जोड़ना आत्मोद्धार का मार्ग*


दुबहर:- माता देवहुति ने अपने पुत्र भगवान कपिलदेव जी से पूछा कि आत्मोद्धार कैसे हो सकता है। उन्होंने बताया कि आत्मोद्धार का सबसे सरल तथा सहज उपाय यह है कि मन को जगत् के साथ साथ जगदीश में भी जोड़िए।  कहीं किसी कारण से जाने अनजाने में बुरी आदत जो हो  उसका त्याग करे इससे हर क्षण हमारे जीवन का प्रत्येक कार्य हमारा भजन बन जाएगा।

उक्त बातें भारत के महान मनीषी संत त्रीदंडी स्वामी जी महाराज के कृपा पात्र शिष्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज ने जनेश्वर मिश्रा सेतु एप्रोच मार्ग के निकट हो रहे चातुर्मास व्रत में अपने प्रवचन के दौरान कही।

 स्वामी जी ने बतलाया की श्रीमद्भागवत महापुराण में बताया गया है कि बंधन और मोक्ष का कारण मन है। यदि मन जगदीश में फंसा हुआ है तो मोक्ष है। यदि मन कहीं जगत् में फंसा हुआ है तो बंधन है। मोक्ष का सरल और सहज साधन मन है। मन को अपने आप में दुनिया से समेट लिए तो ठीक है। यदि मन को दुनिया में लगा दिए तो कहीं न कहीं उलझन में फंसना जरूरी है।

भक्ति को पुष्ट करने के लिए 15 साधन बताया गया है। पहला यम नियमादि का पालन करना। वाणी भी सत्य होना चाहिए, भोजन भी सत्य होना चाहिए, व्यवहार भी सत्य होना चाहिए। हमारी धारणा,  ध्यान भी सत्य होना चाहिए,  इसी का नाम सत्य है। क्योंकि नारायण ही सत्य हैं, सत्य ही नारायण  हैं। 


रिपोर्ट:- नितेश पाठक

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