भारतीय संस्कृति का संविधान है रामचरितमानस , वाल्मीकि रामायण व महाभारत :- वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज
दुबहड़। क्षेत्र के नगवा गांव में त्रिदंडी देवधाम के प्रांगण में चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन प्रवचन करते हुए जगदगुरु वासुदेवाचार्य विद्या भास्कर स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति के ऐसे ग्रंथ हैं। जिनके द्वारा मनुष्य अपने जीवन की सार्थकता को सिद्ध कर सकते हैं। चाहे वह परमात्मा प्राप्ति का मार्ग, सामाजिक सेवा, या फिर अपने सगे-संबंधियों एवं इष्ट मित्रों इन सबके प्रति मनुष्य का क्या सिद्धांत होना चाहिए। यह रामचरितमानस, वाल्मीकि रामायण में वर्णित है।
समाज में व्याप्त प्रचलित नीति के साथ-साथ राजनीति का वास्तविक स्वरूप एवं उसका व्यवहारिक दर्शन हमें महाभारत जैसे विशाल ग्रंथ से प्राप्त होता है। इसलिए मानव मात्र को अपने जीवन काल में इन तीनों महान ग्रंथों का अध्ययन अवश्य करना चाहिए। पिता का पुत्र के साथ, भाई का भाई के साथ क्या संबंध होना चाहिए एवं राष्ट्र और समाज के प्रति हमारे क्या उत्तरदायित्व हैं ? इन सबका वास्तविक ज्ञान हमें भारतीय ग्रंथों से प्राप्त होता है।
भगवान श्री कृष्ण के जन्म प्रसंग की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का ध्यान करने से समस्त पापों का नाश हो जाता है। कहीं भी चाहे जिस हालत में रहें, अगर भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप का ध्यान करते हैं तो जीवन के मोह-माया से मुक्ति मिल जाती है।
गजेंद्र मोक्ष के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि भगवान विष्णु अपने भक्तों को जरा भी कष्ट नहीं होने देते हैं। गजेंद्र मोक्ष की कथा हमें यही बताती है।
इस मौके पर यज्ञ के मुख्य यजमान शिवजी पाठक, इंजीनियर भगवतीशरण पाठक, इंदु पाठक व पंडित अश्वनी कुमार उपाध्याय, डॉ जयगणेश चौबे जय कांताचार्य ,अजय किशोर सिंह, विद्यासागर दुबे, अशोक गुप्ता, जवाहरलाल पाठक धर्मदेव पाठक, विश्वनाथ पाठक,कृष्ण कुमार पाठक, संजय पाठक, मुन्ना बाबा, अरुणेश पाठक, विनोद पाठक भुवर बाबा , जागेश्वर मितवा, तारकेश्वर पाठक, राजेश पाठक, गायक हरेराम पाठक व्यास आदि लोग मौजूद रहे।
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*मनाई गई त्रिदंडी स्वामी जी महाराज की जयंती*
इस अवसर पर भारत के महान मनीषी संत त्रिदंडी स्वामी जी महाराज की जयंती भी मनाई गई इस अवसर पर स्वामी जी के कृतित्व पर चर्चा करते हुए विद्या भास्कर महाराज जी ने कहा कि शताब्दियों में जो महापुरुष विश्व का मार्गदर्शन के लिए आते हैं उनमें से त्रिदंडी स्वामी जी महाराज एक प्रमुख संत हैं । उनके चमत्कारों की कोई गणना नहीं है।वे वैष्णव संप्रदाय के दिव्य कमल हैं। उन्होंने अपने जीवन काल में कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। जीवन के विषम परिस्थितियों में भी वे नियमानुसार ही अपनी दिनचर्या का पालन करते रहे।
रिपोर्ट:- नितेश पाठक
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