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जीव के सुख व दुख की प्रतिकूलता का कारण मन है-पंडित आदित्य चौबे



गड़वार(बलिया):क्षेत्र के नारायनपाली गांव में चल रहे संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस कथा के दौरान कथावाचक पंडित आदित्य चौबे ने विदुर चरित्र के बारे में श्रद्धालु श्रोताजनों को बताया।कहा कि भगवान श्रीकृष्ण दुर्योधन के छप्पन भोग को त्यागकर विदुर के घर जाकर केले के छिलकों को बड़े भाव से खाया।कहा कि भगवान भक्त द्वारा अर्पित की गई व्यंजन को नहीं खाते हैं अपितु भगवान तो भक्त के भाव का भोग लगाते हैं।तत्पश्चात कपिलदेवहूती संवाद से उन्होंने संकेत किया कि यह संसार दुखालय है।इस संसार में सुख की कामना मत कीजिए।कहा कि सुख तो केवल गोविंद के भजन में है,दुःख का मूल कारण हमारा मन है।जीव मन की अनुकूलता से सूखी व मन की प्रतिकूलता से दुख को प्राप्त करता है।

रिपोर्ट-पीयूष श्रीवास्तव

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