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यात्री सुविधा विहिन है रेवती रेलवे स्टेशन



 

रेवती (बलिया)आजादी से पूर्व लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व स्थापित रेवती रेलवे स्टेशन, इलेक्ट्रिक व दोहरीकरण होने के बाद यात्री सुविधा विहिन बन कर रह गया है। 

स्टेशन का दर्जा समाप्त कर इन्टरमीडिएट ब्लाक स्टेशन बनने के बाद तीसरा रेलवे ट्रैक समाप्त कर केवल अप डाउन दो ट्रैक रह गया। ट्रेनों का संचालन व प्रशासनिक कार्य यहां से हटाकर सहतवार व सुरेमनपुर कर दिया गया है। सारा स्टाफ हटा देने से  ठेकेदार द्वारा सुरेमनपुर से टिकट लाकर बिक्री किये जाने से स्टेशन का प्रति माह का राजस्व चार लाख से घटकर दो लाख, चालीस हजार रुपए रह गया है। साफ सफाई के अभाव में यात्री प्रतिक्षालय में गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है। एक नं प्लेटफार्म से सटे तीसरे ट्रैक को हटा दिए जाने से छपरा अप साईड से आने वाली ट्रेन में यात्रियों को चढ़ने उतरने में काफी असुविधा न परेशानी झेलनी पड़ती है। मात्र आधा मिनट ठहराव होने तथा प्लेटफ़ॉर्म का सतह नीचा होने से  बुजुर्ग, विकलांग दैनिक यात्री कभी कभी ट्रेन में चढ़ नहीं पाते है। पेयजल व शौचालय की स्थिति भी दयनीय है। 

स्टेशन बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक ओमप्रकाश कुंवर ने बताया कि रेवती नगर पंचायत के साथ ब्लाक मुख्यालय हैं। लगभग पचास गांवों के की ढ़ाई लाख आबादी का संबंध रेवती रेलवे स्टेशन से है। इसको हाल्ट घोषित किया जाना सर्वथा क्षेत्रवासियों का अपमान है। समाजसेवी महावीर तिवारी फौजी का कहना है कि सन 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में दलछपरा से पचरुखा गायघाट तक पांच कि मी रेल की पटरी उखाड़ कर पूरे देश में सबसे पहले 10 दिनों के लिए रेवती आजाद रहा। रेवती से कम आय वाले बकुलाहा व बांसडीह को स्टेशन बरकार रख कर रेवती का स्टेशन का दर्जा समाप्त किया जाना कही से न्यायोचित नहीं कहा जा सकता। कामरेड लक्ष्मण पांडेय  का कहना है कि जन प्रतिनिधियों की उदासीनता से यह हाल्ट बना है। अब आगे स्टेशन का दर्जा बहाल करने के लिए एक बड़ा जन आंदोलन की रणनीति पर चर्चा के लिए शीघ्र ही बैठक बुलाई जाएगी।


रिपोर्ट पुनीत केशरी

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