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शोषितों अभिवंचितों की आवाज थे मुंशी प्रेमचंद

 


रतसर(बलिया)जनऊबाबा साहित्यिक संस्था निर्झर के तत्वाधान में सोमवार को हनुमत सेवा ट्रस्ट जनऊपुर के परिसर में कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की 143 वीं जयंती का आयोजन किया गया। इस मौके पर पूर्व शिक्षक एवं तर्कशास्त्री प्रेमनारायन पाण्डेय ने कहा कि कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द अपनी लेखनी से आमलोगों के अंतर्मन को छूने, उनकी समस्याओं को मार्मिक रूप में चित्रित करने व समाज में प्रेम- भाईचारा स्थापित कराने का काम किया। इं०श्री गणेश पाण्डेय ने  अपन उद्बोधन में कहा कि  उपन्यसकार मुंशी प्रेमचन्द गरीबों,शोषितों के दर्द व उनके मन के मर्म को उपन्यास की पंक्तियों में पिरोया। उन्होंने उपन्यास को बेहद खास तबके की हिंदी से निकालकर आमलोगों की बोलचाल वाली भाषा बनायी। उनके लिखे उपन्यास आज भी युवाओं को मानवता व राष्ट्रभक्ति का पाठ सिखाते हैं। संस्था के संयोजक धनेश पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद ग्रामीण जीवन के रचनाकार थे। उनकी कहानियों में गांव के लोगों की सहजता व सरलता देखने को मिलती है। अध्यक्षता करते हुए हृदयानंद पाण्डेय ने कहा कि प्रेमचंद कालजयी रचनाकार थे। उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थी। बल्कि आज उनकी प्रासंगिकता पहले से बढ़ गई है। कार्यक्रम का संचालन परशुराम युवा मंच के अध्यक्ष सक्षम पाण्डेय" रिशु" ने किया।इस अवसर पर राधेश्याम पाण्डेय,बब्बन पाण्डेय,श्याम नारायन गुप्त, दीनदयाल राम, मनोज शर्मा आदि वक्ताओं ने अपने- अपने विचार व्यक्त किए।


रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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