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धनेश्वर नाथ शिव मंदिर में हैं स्वयंभू शिवलिंग, बना है आस्था का केन्द्र

 



रतसर (बलिया) जिला मुख्यालय से 17 किमी दूर बलिया-सिकन्दरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से तीन किमी पश्चिम पचखोरा- रतसर मार्ग के बीच धनौती गांव स्थित बाबा धनेश्वरनाथ शिव मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। सावन के पवित्र महीना के शुरुआत होते ही बाबा के दरबार में भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। इस मंदिर में भक्त सच्चे मन से जो भी कामना करते हैं उनकी मनोकामना की पूर्ति बाबा धनेश्वरनाथ अवश्य करते है। मंदिर के चारो तरफ सुरम्य बागीचा से आच्छादित है। बाबा धनेश्वर नाथ मंदिर परिसर में अन्य देवी देवताओं का भी मंदिर है जहां अनवरत भजन-कीर्तन एवं प्रवचन चलता रहता है। ऐसे तो प्रत्येक सोमवार और शनिवार को काफी संख्या में भीड़ लगती है। वहीं खासकर सावन मास की सोमवारी पर एवं शिवरात्रि के अवसर पर मेला लगता है। जहां पूरे क्षेत्र में भक्तों का रेला उमड़ पड़ता है। प्राचीन मान्यता के अनुसार यह क्षेत्र जंगल से आच्छादित था। चरवाहे अपने पशुओं को लेकर आया करते थे। इसी बीच एक दिन एक चरवाहा पेड़ के नीचे विश्राम कर रहा था। उसे भूख लगी थी। अचानक उसके सामने भोजन की थाली प्रकट हो गई। चरवाहा अचंभित हो गया और इधर उधर नजर दौड़ाई तो देखा कि भोजन की थाली के निकट जमीन में आधा धंसा शिवलिंग है। चरवाहे ने गांव वालों को पूरा वृतांत बताया। तब से लोग इस स्थान पर शिवलिंग का पूजन करने लगे। मंदिर के व्यवस्थापक फलहारी दास ने बताया कि पहले यह मंदिर छोटे आकार में था । तीन किमी दूर पड़ोसी गांव जनऊपुर निवासी हकड़ू शाह प्रतिदिन नंगे पांव बाबा धनेश्वरनाथ मंदिर पर जलाभिषेक करने के बाद भोजन करते थे। कालांतर में धनेश्वरनाथ की कृपा से उन्हें अकूत संपति प्राप्त हुई। इसके बाद उन्होंने भव्य मंदिर निर्माण के साथ ही वहां पर धर्मशाला एवं यज्ञशाला का भी निर्माण कराया। वहीं मन्दिर के रख-रखाव के लिए दो बीघा जमीन भी दान कर दिया। आज भी शिवरात्रि के दिन यहां भव्य मेला लगता है। इस मंदिर में अनवरत प्रवचन का कार्यक्रम चलता रहता है। जहां श्रद्धालु बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है।



रिपोर्ट : धनेश पाण्डेय

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