कालजयी कथाकार मुंशी प्रेमचंद की कृति " गोदान " का सजीव मंचन
- बाहर बरसते रहे बादल अंदर बजती रही तालियां।
- कल यही कलाकार फिल्मों के अभिनेता-अभिनेत्री बनेंगे।
- कौशिकेय
बलिया। टूटते संयुक्त परिवार, बिखरते ग्राम्य जीवन के सहयोग सहकार के ताने- बाने को तार- तार करते समाज के बदलाव की कहानी को होरी और धनिया, हीरा - बुनिया और गोबर-झुनिया ने पाप-पुण्य, पाखण्ड, साहूकारी- सामन्ती के मकड़जाल से निकल कर नयी दुनिया मे पहुँच पढ़ने-लिखने और व्यापार कर गाँव मे भी खुशहाली लौटाने की मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान के जयवर्धन द्वार किए गए नाट्य का मंचन जब कलाकारों ने मंच से किए तो दर्शक हर दृश्य के साथ कभी हँसते, कभी रोते तो कभी तालियां बजाते रह गए।
उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी संस्कृति विभाग उत्तरप्रदेश के द्वारा जिले मे पहली बार जागरुक शिक्षण प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से आयोजित तीस दिवसीय प्रस्तुतिपरक प्रशिक्षण कार्यशाला के प्रशिक्षु कलाकारों ने रविवार शाम को बापू भवन टाऊनहाल में कार्यशाला के प्रशिक्षक अनिल कुमार चौधरी के निर्देशन मे प्रस्तुत इस नाट्य समारोह का शुभारंभ साहित्यकार डाॅ.जनार्दन राय, डाॅ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय, डाॅ.राजेन्द्र भारती, वरिष्ठ रंगकर्मी आशुतोष सिंह और संस्कार भारती के डाॅ.केपी मिश्र ने किया।
जिले के साहित्यकारों, कलाकारों ने अभिनेता प्रशिक्षक अनिल कुमार चौधरी को अंगवस्त्र से सम्मानित किया। बलिया के ही लाल अनेक फिल्मों, सीरीयल और रंगमंच के अभिनेता आशुतोष कुमार सिंह ने अपनी समीक्षा मे कहा कि बलिया मे प्रतिभा की कमी नही है , उनको निखारने की आवश्यकता है। डाॅ.शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने कहा कि प्रदेश सरकार की इस पहल से जिले के कलाकारों को फिल्मों और बड़े मंचों पर अवसर मिलेगा।
अध्यक्ष डाॅ.जनार्दन राय ने सभी के लिये मंगलकामना की और सचिव अभय सिंह कुशवाहा ने आभार व्यक्त किए।
By - Dhiraj Singh
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