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उफनाई गंगा का तल्ख तेवर देख दहशत में आधा दर्जन गांवों के लोग




रामगढ़। उफनाई गंगा नदी का तल्ख होता तेवर देख कर आधा दर्जन गांवों के लोग दहशत में है। हर तरफ गंगा नदी उपजाऊ भूमि को अपने पेटे में समेटती चली जा रही हैं उधर गांव के तरफ भी कटान तेज हो गया है। गायघाट गेज पर वुधवार की दोपहर 12 बजें गंगा ने चेतावनी बिंदु 56.615 मीटर को पार कर तटवर्ती क्षेत्र में खतरे की घण्टी बजा दी है। गंगा नदी अब तेजी से खतरा बिंदु की ओर अग्रसर हो रही हैं। एक पखवारे बाद ही उग्र हो रही नदी की तेवर से तटवर्ती क्षेत्र के लोग सहमे हुए हैं। गंगा नदी में हो रहें बेत्तहाशा वृद्धि को देखकर प्रशासन भी अलर्ट मोड़ में है। केंद्रीय जल आयोग गायघाट के अनुसार वुधवार की दोपहर 12 बजें गंगा का जलस्तर 57.960 मीटर  स्थिर हो गया है।  यहाँ खतरा बिंदु 57.615 मीटर व मीडियम फ्लड लेबल 58.615 मीटर हैं। अब गंगा का जलस्तर खतरा बिन्दु से 0.345 सेन्टीमीटर उपर बह रहा है तो वहीं मिडीयम फ्लड लेबल से मात्र 0. 655 सेन्टीमीटर निचे है ,अगर ऐसे ही गंगा नदी में उतार चढा़व का क्रम जारी रहा तो लाल निशान के करीब पहुंचने  में समय नहीं लगेगा। गंगा के मुहाने पर बसे गांवों की मुश्किले कम होती नहीं दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जलस्तर में गिरावट नही होगा तो अगले 24 घण्टे में इलाकों के निचले हिस्से में पानी फैल जाएगा। बाढ़ पीड़ितों ने अपना सुरक्षित ठौर तलासने में जुट गए हैं। अगर यही स्थिति रही तो सोनार टोला, सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर,उदई छपरा, नौरंगा , भुआल छपरा इत्यादि गांवों का अस्तित्व संकट में पड़ जायेगा। ग्रामीणों की माने तो कटान रोधी कार्य मानक के अनुसार नहीं होने के कारण उनके उपजाऊ भूमि  को गंगा नदी अपनी आगोश में लेतीं चली जा रहीं है। हर रोज करीब तीन से चार एकड़ उपजाऊ भूमि गंगा नदी में विलीन हो रही है। तटवर्तीय क्षेत्र के लोग प्रकृति के सामने लाचार है, जबकि सम्बंधित विभाग पूरी तरह से उदासीन बना हुआ है। केवल सुघर छपरा से दूबे छपरा रिंगबंधे तक गांव को बचाने के लिए लगभग 9 करोड़ की लागत से पीचिंग कार्य बाढ़ विभाग ने कराया था। वह भी गंगा नदी के कटान के जद में आकर सुरक्षात्मक कार्य का अस्तित्व भी धीरे धीरे गंगा नदी की उफनाई लहरों के जद में चला जा रहा है । गंगा नदी के बैकरोलिंग से कटान तेज होने के कारण ग्रामीणों में दहशत है। इस सन्दर्भ में बाढ़ विभाग के अधिकारी बहुत कुछ नहीं कह पा रहे है। उनका कहना है कि बम्बू क्रेट विधि से बस्तियों को बचाने का प्रयास जारी रहेगा सफलता-असफलता नदी के रुख पर निर्भर है। दूसरी तरफ सुघर छपरा, दूबे छपरा, गोपालपुर,उदई छपरा आदि गांवों के लोग भी गंगा नदी का तल्ख तेवर देख भयाक्रांत है।



25 हजार की आबादी तथा 250 हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसलों पर गंगा के बाढ़ का खतरा मडराने लगा


रामगढ़। गंगा के जलस्तर में लगातार उतार चढा़व से 25 हजार की आबादी तथा 250 हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसलों पर गंगा के बाढ़ का खतरा मडराने लगा.अगर गंगा नदी का जलस्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो अगले 24 घण्टे में तटवर्ती गांवों में गोपालपुर, दुबे छपरा, उदई छपरा, आलम राय के टोला, बड़का व छोटका बुधनचक, मठिया, मुरली छपरा, जगदेवा, पाण्डेयपुर, मिश्र गिरी के मठिया, चिंतामणि राय के टोला, गुदरी राय के टोला, वंश गोपाल छपरा आदि लगभग 25, हजार की आबादी तथा दुबे छपरा से टेंगरही संसार टोला तटबंध तक एनएच 31 के दक्षिणी किनारे पर के लगभग ढाई सौ हेक्टेयर भाग पर बाढ़ का पानी गिरने लगेगा। उधर पचरुखिया, मझौवां, धर्मपूरा,शुक्ल छपरा, बेलहरी, रुद्रपुर, गायघाट के लगभग एक हजार एकड़ खड़ी फसल पूरी तरह जलमग्न हो गया हैं, जबकि नीचे वाले हिस्से सड़क के किनारे तक बाढ़ के पानी से भर गया है ।



रामगढ़। गंगा नदी के जलस्तर स्थिर होने पर भी कटान का सिलसिला बुधवार के दिन भी जारी रहा। गंगा नदी तटीय भू-भाग को काटते-छपटते भगवानपुर, चक्की (नौरंगा) तक पहुंच चुकी है। इससे आधा दर्जन से अधिक गांवों पर खतरा मंडराने लगा है जबकि शासन प्रशासन अभी भी लापरवाही बरत रहा है। कटान का ये किस्सा कोई इसी साल का ही नहीं, ये तो सत्तर के

 दशकों से चला आ रहा है। कहने को तो बैरिया विधानसभा क्षेत्र सियासत में बहुत रसूख रखता है, लेकिन गंगा कटान जैसी समस्या के समाधान में फिसड्डी साबित हुआ है। केवल गंगा कटानरोधी कार्य में अब तक अरबो रुपये की खपत जरूर हुआ, लेकिन विभागीय भ्रष्टाचार ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कटानरोधी कार्य के प्रति वे सदा उदासीन रहे है। भगवानपुर, चिक्की ,नौरंगा के बाढ़ पीड़ित रोहित पाण्डेय, संजय ठाकुर, सुरेंद्र ठाकुर, जगदत ठाकुर, दिनेश ठाकुर, अक्षय चौबे,राजमंगल ठाकुर, लकड़ी मिश्र, भोला ठाकुर,विनोद ठाकुर, रामाकांत ठाकुर, रामजी ठाकुर आदि लोगों ने आरोप लगाया है कि बाढ़ व सिंचाई विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की वजह से जनपद के आला-अधिकारियों द्वारा हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। कटान से पूरा बस्ती सहमा हुआ है लेकिन उनका कोई हाल-चाल तक लेना उचित नहीं समझ रहा है पीड़ितों ने बताया कि जिले के अधिकारी कटान के नाम पर हमसें बात तक करना नहीं चाहते हैं।


रवीन्द्र मिश्र

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