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कुपोषण के खिलाफ पोषण पुनर्वास केंद्र बना हमकदम, वर्ष 2016 से अब तक 928 अतिकुपोषित बच्चों का हुआ सफल उपचार

 



बलिया : केस-1 

वजन दिवस के दिन जब वजन कराने ब्लॉक सोहांव के अंतर्गत गाँव पिपराकला के निवासी ओम प्रकाश एवं मीना अपनी 11 माह के बच्चे मुन्ना को लेकर पहुँचे तो उन्हें पता चला कि वह अति कुपोषित है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्षेत्र में कार्य कर रही टीम को जानकारी दी। टीम ने जांच के उपरांत जिला चिकित्सालय स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) वार्ड के बारे में जानकारी दी। जहां  गंभीर तीव्र अतिकुपोषित (सैम) और मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम)  बच्चों को बेहतर इलाज एवं पौष्टिक भोजन दोनों दिया जाता है। इसके बाद 11 माह के मुन्ना को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं आरबीएसके टीम के सहयोग से 17 अगस्त 2023 को एनआरसी मे भर्ती कराया गया। भर्ती कराते समय मुन्ना का वजन 4.340 किलोग्राम था। 14 दिन बेहतर देखभाल के बाद 5.100 किलोग्राम वजन के साथ 30 अगस्त को घर आ गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता पुष्पा देवी ने बताया कि एक फॉलोअप में जब वह मुन्ना के घर गयीं तो उसका वजन 5 किलो 200 ग्राम हो गया था।

केस 2 –

 ब्लाक मुरली छपरा के अंतर्गत गांव सेमरिया के निवासी फुलेंद्र की बच्ची रोशनी का शारीरिक विकास न हो पाने के कारण उनकी पत्नी रूबी काफी चिंतित रहती थीं। एक दिन उनकी मुलाकात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मला देवी से हुई। उन्होंने जब रोशनी को देखा तो रूबी को ग्राम स्वास्थ्य पोषण दिवस (वीएचएनडी) पर आने के लिए कहा। रूबी रोशनी को लेकर वहां पहुंची, जहां उसका स्वास्थ्य परीक्षण हुआ। उम्र के अनुसार रोशनी का वजन एवं लंबाई दोनों कम पाये गये। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) टीम द्वारा जांच के उपरांत उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी गई। इसके पश्चात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निर्मला देवी एवं आरबीएसके टीम के सहयोग से दस माह की रोशनी को आठ अगस्त 2023 को एनआरसी में भर्ती करवाया गया। भर्ती के समय रोशनी का वजन 4.135 किलोग्राम था। चौदह दिन के उपचार और पोषण युक्त बेहतर खानपान की वजह से रोशनी का वजन 4.600 किलोग्राम वजन  हो गया, उसे 22 अगस्त को एनआरसी से छुट्टी दे दी गयी।

मुन्ना और रोशनी तो सिर्फ उदाहरण मात्र हैं। हकीकत में ऐसे अनेक बच्चे जिला अस्पताल स्थित इस पोषण पुनर्वास केंद्र से स्वास्थ्य लाभ पा चुके हैं। गंभीर पोषण पुनर्वास केंद्र में आरबीएसके टीम, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से तीव्र अति कुपोषित (सैम) और मध्यम गंभीर कुपोषित (मैम) बच्चों को भर्ती कराया जा रहा है। साथ ही कुछ बच्चे ओपीडी के माध्यम से भी भर्ती कराये जाते हैं। नोडल अधिकारी डॉ अविनाश कुमार उपाध्याय ने बताया कि एनआरसी वार्ड में आधुनिक सुविधाएं हैं। बच्चों के खेलने के लिए खिलौने व टीवी भी है। गर्मियों में एसी, पंखे और सर्दियों में रूम हीटर की व्यवस्था रहती हैं। 

एनआरसी की डाइटिशियन रेनू तिवारी ने बताया - वार्ड में सैम-मैम बच्चों को कम से कम 14 दिन या अधिकतम 28 दिन तक भर्ती करके उपचार किया जाता है। उनके खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है। जैसे दूध से बना हुआ अन्नाहार, खिचड़ी, एफ-75 व एफ-100 यानि प्रारम्भिक दुग्धाहार , दलिया, हलवा, फल इत्यादि के साथ में दवाइयां एवं सूक्ष्म पोषण तत्व जैसे आयरन, विटामिन ए, जिंक, मल्टीविटामिंस आदि भी दिया जाता है।

एनआरसी में अब तक 928 बच्चे हो चुके हैं पोषित-

जिला चिकित्सालय में दो अक्टूबर 2016 को एनआरसी वार्ड की स्थापना हुई थी। तब से इस वार्ड में 928 अतिकुपोषित बच्चों को नई जिंदगी दी जा चुकी है। इसमें वह भी बच्चे शामिल है जो रेफर व डिफाल्टर हैं। यहां एनआरसी वार्ड में नोडल डॉ अविनाश कुमार उपाध्याय, चार स्टाफ नर्स मधु पांडे, श्वेता यादव, आशुतोष शर्मा, विप्लव सिंह, एक केयरटेकर बलराम प्रसाद, कुक अमृता देवी और डाइटिशियन रेनू तिवारी हैं। इस केंद्र पर जहां एक माह से पांच साल तक के गंभीर रूप से सैम-मैम बच्चों, चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती है। इसके अलावा बच्चों की माताओं को बच्चों के समग्र विकास के लिए आवश्यक देखभाल तथा खान-पान संबंधित कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है।



By - Dhiraj Singh

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