बलिया के इस तहसील में एआरके के अलमारी में एक साल से बंद है मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना योजना कि 28 पत्रावलियां
By Dhiraj Singh
बलिया । मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत लाभ के पात्र 28 विधवा महिलाएं अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ बैरिया तहसील का चक्कर लगाने को मजबूर है। क्योंकि पिछले एख साल से उनकी फाइलें बैरिया तहसील के एआरके(सहायक रजिस्ट्रार कानूनगो) की अलमारी में बंद है। यह फाइलें वह है जो बैरिया तहसील से सारी औपचारिकताओं को पूरा करके बलिया संबंधित अधिकारी के कार्यालय में भेजा गया था। इन फाइलों में कुछ न कुछ आपत्ति लगाकर बलिया से वापस कर दी गई, जिसकी आपत्ति अभी तक निस्तारित करके उसे दोबारा वापस जिला मुख्यालय नहीं भेजा गया है। विधवा महिलाएं अपने फाइल की जानकारी के लिए बड़ी उम्मीद के साथ तहसील में आती हैं। किंतु हर बार उन्हें आश्वासन का घुट पिला कर वापस भेज दिया जाता है। जिसके चलते शासन के मंशा के अनुरूप मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा के पात्र महिलाएं अभी तक लाभ से वंचित है।
उल्लेखनीय है कि दुर्गावती देवी के पति स्वर्गीय जय प्रकाश सिंह निवासी चांददियर की मौत मई 2022 में ट्रक से दबकर हो गई थी। किसान दुर्घटना बीमा का लाभ पाने के लिए सभी औपचारिकताएं पूरा करके फाइल को दुर्गावती देवी ने बलिया भिजवाया। फाइल पर आपत्ति लगाकर उसे बलिया से वापस कर दिया गया है, तथा आपत्ती का निस्तारण कर फाइल को दोबारा भेजने का निर्देश दिया गया था। किंतु तब से फाइल एआरके के अलमारी में पड़ी हुई है। दुर्गावती देवी अपने मासूम बच्चों के साथ तहसील का चक्कर लगाने को मजबूर हैं।
इसी तरह टोला फत्तेराय निवासी सोनू सिंह की मौत वर्ष 2020 में नाव दुर्घटना में हो गई थी। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत इनकी फाइल भी बलिया भेजी गई थी। जिसे आपत्ति लगाकर बलिया से बैरिया तहसील वापस भेज कर आपत्तियां निस्तारित कर पुनः वापस करने के लिए बैरिया भेजी गई। किंतु वह फाइल भी एआरके अलमारी में बंद है। इसी तरह से गोपाल नगर के वीरेंद्र चौधरी की मौत 2021 में सड़क दुर्घटना में हुई थी। उनकी विधवा कुसुम देवी भी तहसील का चक्कर लगा रही है। उनकी फाइल भी यही अलमारी में बंद है। राम पुकार सिंह निवासी जमालपुर की मौत ट्रेन से कटकर हो गई थी। उनकी पत्नी उर्मिला देवी भी तहसील का चक्कर लगा रही हैं। श्रीनिवास यादव टोला शिवराय की विद्युत स्पर्शाघात से वर्ष 2022 में मौत हो गई थी। मृतक की विधवा रामावती देवी भी तहसील का चक्कर लगा रही हैं। श्रीपतिपुर निवासी सुग्रीव मौर्या की 2020 में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। उनकी विधवा दुर्गावती देवी बैरिया तहसील का चक्कर लगाते लगाते थक चुकी हैं। उक्त लोग बैरिया तहसील के लिए एक बानगी हैं। इसी तरह की 28 लोगों की फाइल काफी दिनों से यहां एआरके के अलमारी में बंद पड़ी है। न तो कोई पूछने वाला है नहीं कोई टोकने वाला है। आरोप है कि सुविधा शुल्क देने वालों की फाइल पर तत्काल कार्यवाही होती है। अगर कोई दलाल फाइल के लिए पैरवी कर रहा हो तो बलिया से भी उसमें आपत्ति नहीं लगती। सरकारी सहायता दिलाने वाले यहां कई दलाल सक्रिय हैं। जो दुर्घटना होने के तत्काल बाद मृतक के घर पहुंच कर सरकारी सहायता दिलवाने की बात करते हैं। कहते हैं दौड़ते रह जाओगे आपसे काम नहीं होगा। हम लोग इतने पैसे में काम करा देंगे, और काम करा भी देते हैं।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना बीमा योजना के तहत किसान की दुर्घटना में हुई मौत पर 5 लाख रूपये सरकारी सहायता मृतक के आश्रित को देने का प्रावधान है। वही दुर्घटना में 60 प्रतिशत से अधिक अपंगता पर 2 से 3 लाख रूपए की सहायता देने का प्रावधान है। किंतु सारी औपचारिकताएं पूरा कराने के बाद भी पीड़ितों को कभी बलिया कार्यालय का तो कभी बैरिया कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है। शासन की मंशा के अनुरूप मृतकों के आश्रितों को लाभ नहीं मिल पा रहा है।
सभी फाइलों को आवश्यक कार्यवाही के साथ तत्काल भेजी जाएगी बलिया
मुझे 28 फाइलों के लंबित होने का मामला संज्ञान में नहीं था। आज ही इन सभी फाइलों पर आपत्तियों के निस्तारण के साथ ही बलिया भिजवाने की व्यवस्था कर रहा हूं। पीड़ितों को शासन की मंशा के अनुरूप तत्काल लाभ मिलनी चाहिए। अगर इसमें किसी के द्वारा लापरवाही बरती गई तो संबंधित के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी।
आत्रेय मिश्र
उप जिलाधिकारी बैरिया
शासन की मंशा के विपरीत कार्य करने पर होना पड़ेगा दंडित
संबंधित अधिकारी कर्मचारी शासन के मंशा के अनुरूप तत्काल पत्रावलियों को पूरा कराकर आश्रितों को किसान दुर्घटना बीमा योजना का लाभ दिलवाए। लापरवाही बरतने पर संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। चाहे वह कोई भी हो। किसी भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी को शासन की मंशा के खिलाफ कार्य करने की अनुमति नहीं है। अगर शासन के मंशा के अनुरूप कार्य नहीं करते हैं, तो ऐसे लोग परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।
वीरेंद्र सिंह मस्त
सांसद बलिया
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